सरकार गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) कंपनियों के बैंकों के साथ काम करने और मिलकर कर्ज देने के पक्ष में है। वित्तीय सेवा विभाग के निदेशक (बैंकिंग परिचालन) हार्दिक मुकेश सेठ ने उद्योग मंडल सीआईआई के एक कार्यक्रम में शुक्रवार को यह बात कही। शेठ ने कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को एनबीएफसी और फिनटेक कंपनियों के साथ काम करने और मिलकर कर्ज देने के लिए प्रेरित कर रही है। उन्होंने डिजिटल माध्यमों को अपनाने पर भी जोर दिया और कहा कि प्रौद्योगिकी आधारित नए जमाने की बैंकिंग में वृद्धि हुई है। शेठ ने कहा, ''डिजिटल चैनल का उपयोग करके ऋण वितरण में वृद्धि हुई है।''
सभी सरकारी बैंक मुनाफा कमा रहे
उन्होंने कहा कि इस वक्त सभी 12 पीएसबी मुनाफा कमा रहे हैं, और उनकी गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) आधी हो गई है। उन्होंने कहा, ''सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंकों में कोई भी आरबीआई की त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के तहत नहीं है।'' इस मौके पर यस बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ प्रशांत कुमार ने कहा कि एनबीएफसी न केवल वित्तीय समावेशन के लिए बल्कि कर्ज में तेज वृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि फिनटेक ग्राहकों के व्यवहार को समझने में सक्षम हैं, जबकि बैंकों पर ग्राहकों का भरोसा है।
फिनटेक क्षेत्र के नियमन का कोई निश्चित तरीका नहीं
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कार्यकारी निदेशक अजय चौधरी ने कहा कि वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) कंपनियों के नियमन का कोई ‘निश्चित तरीका’ नहीं है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कारोबार को संतुलित तरीके से संचालित करने की जिम्मेदारी फिनटेक इकाइयों की है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की व्यवस्थित वृद्धि के लिए नई पेशकश के दौरान इन इकाइयों की मंशा सही होनी चाहिए। चौधरी ने यहां ‘ग्लोबल फिनटेक फेस्ट’ में कहा, ‘‘फिनटेक को विनियमित करने का कोई निश्चित तरीका नहीं है, जो वित्तीय प्रणाली और ग्राहकों को जोखिमों से बचाने के साथ ही उनके सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाने का काम करे।'' उन्होंने कहा, ‘‘यदि लक्ष्य ग्राहकों के हितों की रक्षा करना और उन्हें आगे मजबूत करना तथा वित्तीय प्रणाली का व्यवस्थित विकास करना है, तो इस संतुलन को कायम करने का काम फिनटेक क्षेत्र को ही करना होगा।’’