लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद नई सरकार बनने पर अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बदले हुए सियासी हालात में सत्ता में अगर लौटते हैं तब महत्वपूर्ण सुधारों के अमल में ला पाना चुनौतीपूर्ण हो जाएगा। अर्थशास्त्रियों ने चुनावी नतीजों के बाद यह राय जताई। भाषा की खबर के मुताबिक, अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, लोकसभा चुनावों की मतगणना के नतीजों से यह सामने आया कि मौजूदा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) तो बहुमत में आ गई है, लेकिन भाजपा अपने दम पर सरकार बनाने के लिए जरूरी 272 के आंकड़े से पीछे रह गई।
आर्थिक नीति की व्यापक दिशा में बदलाव की संभावना नहीं
खबर के मुताबिक अर्थशास्त्रियों ने इसे एक नकारात्मक आश्चर्य बताया। घरेलू ब्रोकरेज फर्म एम्के ने एक टिप्पणी में कहा कि इस बात की संभावना है कि नरेन्द्र मोदी तीसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री के रूप में वापस आएंगे। हालांकि उन्हें शासन में बदली हुई परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। टिप्पणी में आगे कहा गया कि इस तरह की स्थिति में आर्थिक नीति की व्यापक दिशा में बदलाव की संभावना नहीं है।
स्विस ब्रोकरेज फर्म यूबीएस के विश्लेषकों ने उम्मीद जताई कि नई सरकार विनिर्माण, नियामकीय प्रक्रियाओं को सरल बनाने, श्रम सुधारों को लागू करने, कौशल विकास और रोजगार के अवसर पैदा करने सहित आपूर्ति-पक्ष के सुधारों को आगे बढ़ाने का काम करेगी।
कई सुधारों को लागू करना
ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि हालांकि हमें लगता है कि भूमि सुधार, बुनियादी ढांचे पर खर्च को बढ़ावा देना, विनिवेश, कृषि विधेयक, समान नागरिक संहिता और पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने जैसे कठोर सुधारों को लागू करना इस सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। आरबीएल बैंक की अचला जेठमलानी ने कहा कि भाजपा की अगुवाई वाले गठबंधन को मामूली अंतर से मिली जीत जरूरी सुधारों को तेजी से आगे बढ़ा सकती है, जिससे भारत की वृद्धि गाथा को समर्थन मिलेगा। एम्के ने कहा कि सरकार के लिए तेलुगु देशम पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) जैसे क्षेत्रीय सहयोगियों पर निर्भरता होने से उनके हिसाब से नीतियों को समायोजित करना होगा।