दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं के लिए मौजूदा वक्त अच्छा तो कतई नहीं कहा जा सकता। यूक्रेन युद्ध (Ukraine War) ने पूरी दुनिया को महंगाई का तोहफा दिया है। वहीं मंदी की आशंका और डॉलर की मजबूती के कारण दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाओं के पैर उखड़ने लगे हैं। लेकिन इन झंझावातों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था पर दुनिया भर का भरोसा कायम है।
दुनिया की प्रमुख रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस (Moody's Investors Service) ने मंगलवार को कहा कि उसे उम्मीद नहीं है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष, उच्च मुद्रास्फीति और सख्त वित्तीय स्थिति 2022 और 2023 में महामारी से भारत की चल रही वसूली को पटरी से उतार देगी। इसी के साथ ही मूडीज ने स्थिर दृष्टिकोण के साथ भारत के लिए अपनी सॉवरेन रेटिंग को बीएए 3 पर बरकरार रखा है। हालांकि अन्य रेटिंग एजेंसियों की राह पर चलते हुए मूडीज ने भारत की विकास दर को जरूर घटा दिया है। मूडीज ने मार्च 2023 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए अपने वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के अनुमान को घटा कर 7.6 प्रतिशत कर दिया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार मजबूत
मूडीज के अनुसार, स्थिर दृष्टिकोण दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली के बीच नकारात्मक प्रतिक्रिया से जोखिम कम हो रहे हैं। रेटिंग एजेंसी का कहना है, ’भारत का मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार और अधिक लिक्विडिटी के साथ, बैंक और गैर-बैंक वित्तीय संस्थान (एनबीएफआई) पहले की तुलना में कम जोखिम प्रदर्शित कर रहे हैं, जिससे महामारी से चल रही वसूली की प्रक्रिया अभी भी जारी है।’
आगे बेहतर होगी भारत की रेटिंग
मूडीज ने कहा कि वह रेटिंग को आगे और भी अपग्रेड कर सकता है यदि भारत का आर्थिक विकास अपेक्षा से अधिक बढ़ जाता है। यह आर्थिक और वित्तीय क्षेत्र के सुधारों को लागू करने के बाद ही हो सकता है, जिसके कारण निजी क्षेत्र के निवेश में महत्वपूर्ण और लगातार वृद्धि हुई है। सरकार के कर्ज के बोझ में लगातार गिरावट और कर्ज का बोझ सहन करने की क्षमता में सुधार से भी क्रेडिट प्रोफाइल को समर्थन मिलेगा।
क्रेडिट प्रोफाइल से झलक रही मजबूती
मूडीज का कहना है कि भारत का क्रेडिट प्रोफाइल तेजी से विकास करने की क्षमता, अपेक्षाकृत मजबूत बाहरी स्थिति और सरकारी ऋण के लिए एक स्थिर घरेलू फाइनेंस आधार सहित इसकी बड़ी और विविध अर्थव्यवस्था सहित प्रमुख ताकत को दर्शाता है। इसमें कहा गया है कि बहुत बड़े घरेलू बाजार ने मजबूत मांग-संचालित विकास प्रदान किया है, जिससे अर्थव्यवस्था को बाहरी मांग में उतार-चढ़ाव से बचाने में मदद मिली है।
बैंकों में पूंजी अनुपात बढ़ा
रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली की गुणवत्ता में और सुधार होगा, क्योंकि अर्थव्यवस्था अब महामारी के दौर से बाहर निकल रही है। जैसे-जैसे इसमें सुधार आएगा, बैंकों के लिए स्थितियां अनुकूल होती जाएंगी और इससे व्यावसायिक विश्वास को मजबूती मिलेगी। इसके बाद बैंकिंग सिस्टम की एसेट क्वालिटी और उसके फायदे में सुधार होगा। पिछले एक साल में सार्वजनिक और निजी, दोनों बैंकों में पूंजी अनुपात बढ़ा है