साल 2024 में होने वाले आम चुनावों से पहले आगामी आम बजट मौजूदा सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा। ऐसे में यह बजट अधिक ग्रामीण और बुनियादी ढांचा केंद्रित होगा। यूबीएस इंडिया की अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन ने बुधवार को कहा कि वर्ष 2024 के मध्य में देश में आम चुनाव होने जा रहे हैं। आगामी बजट से ग्रामीण/कृषि खर्च में 10 अरब डॉलर की वृद्धि होने की संभावना है- जो वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में 15 प्रतिशत अधिक होगा। यह चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक पूंजीगत व्यय में 20 प्रतिशत की वृद्धि को दोहरे अंकों में बनाए रखेगा।
सब्सिडी का बोझ काफी कम हो जाएगा
हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार के अपने चुनावी बजट में राजकोषीय सीमाओं से परे जाने की संभावना नहीं है और यह भी उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2023-24 में सब्सिडी का बोझ काफी कम हो जाएगा, जिससे ग्रामीण रोजगार योजना मनरेगा सहित ग्रामीण आवास और सड़कें व कई अन्य मौजूदा ग्रामीण योजनाओं के मद में धन को पुन: आवंटन करने के लिए अधिक राजकोषीय गुंजाइश बन जाएगी।
अर्थव्यवस्था में सुस्ती की आशंका
उन्होंने कहा कि धीमी वैश्विक वृद्धि तथा मौद्रिक सख्ती के बाद में पड़ने वाले प्रभाव के साथ-साथ इस वर्ष अपेक्षित वैश्विक मंदी के चलते अर्थव्यवस्था में और सुस्ती आएगी और अगले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सिर्फ 5.5 प्रतिशत रहेगी। यह छह प्रतिशत की आम राय की वृद्धि दर की तुलना में कम है।
रोजगार बढ़ाने वाले क्षेत्र पर होगा फोकस
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगामी बजट में सरकार का पूरा जोर नौकरी बढ़ाने वाले सेक्टर पर होगा। सरकार उन सेक्टर को विशेष रियायत दे सकती है, जिसमें अधिक संख्या में लोगों को नौकरियां मिलती हैं। इससे बेरोजगारी कम करने और अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज करने में मदद मिलेगी।