बढ़ी महंगाई से परेशान आम जनता को मोदी सरकार एक और राहत देने जा रही है। सरकार 25 रुपये प्रति किलो चावल बेचने की तैयारी में है। लाइव मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया है कि सरकार अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले आवश्यक खाने-पीने के सामान की बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए 25 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर 'भारत चावल' पेश करने पर विचार कर रही है। यह कदम 'भारत आटा' (गेहूं का आटा) और 'भारत दाल' (दालें) के लिए रियायती दरों पर बेचने के बाद उठाने की तैयारी है। इससे आम जनता को अपनी थाली का बजट कम करने में मदद मिलेगी। भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड), भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (NCCF) और केंद्रीय भंडार आउटलेट के साथ-साथ मोबाइल वैन के जरिये भारत चावल को बेचा जाएगा।
चावल की महंगाई में बड़ा उछाल
इस वर्ष चावल की महंगाई में 13 फीसदी का बड़ा उछाल आया है। इसको देखते हुए सरकार ने यह योजना बनाई है। खाद्य मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, चावल की महंगाई पर लगाम लगाने लगाने के मकसद से सरकार भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के चावल को भारत ब्रांड के तहत बेचने की योजना बना रही है। उल्लेखनीय है कि खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत ई-नीलामी के माध्यम से भारतीय खाद्य निगम के चावल की बिक्री के माध्यम से घरेलू उपलब्धता को बढ़ावा देकर खुदरा चावल की कीमतों पर अंकुश लगाने के मंत्रालय के प्रयासों को फीकी प्रतिक्रिया मिली है। अधिकारी ने कहा, ‘भारत चावल’ की खुदरा बिक्री का प्रस्ताव है लेकिन कीमत अभी तय नहीं हुई है।” उन्होंने कहा कि ओएमएसएस के तहत, एफसीआई 29 रुपये प्रति किलोग्राम के आरक्षित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण चावल की पेशकश कर रहा है।
पहले से आटा और दाल बेच रही सरकार
‘भारत चावल’ को समान दर पर बेचा जाए या कम दर पर, इसका निर्णय मंत्री समूह को लेना है।” सरकार पहले से ही भारत ब्रांड के तहत गेहूं का आटा (आटा) और दालें भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड), राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) और केंद्रीय भंडार के दुकानों के माध्यम से बेच रही है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, एफसीआई इस साल अब तक ओएमएसएस के तहत केवल 3.04 लाख टन चावल ही बेच पाई है। गेहूं के मामले में, नोडल एजेंसी ने ओएमएसएस के तहत 82.89 लाख टन गेहूं बेचा है। चावल की महंगाई दर सालाना आधार पर 13 प्रतिशत पर है और सरकार 2024 के आम चुनावों से पहले प्रमुख खाद्य कीमतों को लेकर चिंतित है।