ज्यादा रिटर्न पाने के लिए मिलेनियल्स ट्रैडिशनल इन्वेस्टमेंट माध्यम से हटकर नए-नए उत्पादों में निवेश कर रहे हैं। इसी कड़ी में मिलेनियल्स बॉन्ड्स में जमकर निवेश कर रहे हैं। प्लेटफॉर्म ग्रिप इन्वेस्ट की रिपोर्ट ‘ग्रिपिंग द बूम’ के अनुसार, मिलेनियल्स (यानि आज के युवा) के निवेश के व्यवहार में बड़ा बदलाव आया है। वे बचत के पारम्परिक तरीकों से हटकर सोच-समझ कर नए तरीकों में निवेश कर रहे हैं। नए इन्वेस्टमेंट माध्यम में उनको मनचाहा रिटर्न भी मिल रहा है।
निवेश की राशि कम करने से बढ़ा रुझान
नियमों में बदलाव जैसे न्यूनतम निवेश को 10 लाख से कम कर 10,000 रुपये पर लाने से इन रूझानों को गति मिली है। यह क्रिसाइल द्वारा लगाए गए अनुमानों के अनुरूप है, जिसके अनुसार भारत का कॉर्पोरेट बॉन्ड मार्केट 2030 तक दोगुना होकर 100-120 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार, मिलेनियल्स सभी कॉर्पोरेट बॉन्ड निवेशकों का 63 फीसदी हिस्सा हैं। 2023 से 2024 के बीच औसत निवेश 1.8 गुना बढ़ा है। इसके साथ कॉर्पोरेट बॉन्ड निवेश में 200 फीसदी की बढ़ोतरी के चलते ग्रिप इन्वेस्ट इस कैटेगरी में 450 करोड़ तक पहुंच गया है। 2024 में निवेश को दोहराने वाले निवेशकों की संख्या चौगुना हो गई है, यह इस बात का संकेत है कि निवेशक कॉर्पोरेट बॉण्ड्स में रूचि ले रहे हैं।
महिलाओं की भी हिस्सेदारी बढ़ी
मिलेनियल्स में, कॉर्पोरेट बॉण्ड निवेश में महिलाओं की भागीदारी 2023 से 2024 के बीच 52 फीसदी बढ़ गई है। ये आंकड़े कॉर्पोरेट बॉन्ड्स की तरफ महिला निवेशकों के बढ़ते झुकाव को दर्शाते हैं, जो आमतौर पर विविध, संतुलित और जोखिम प्रबन्धित पोर्टफोलियो बनाती हैं। यह हैरानी की बात नहीं है क्योंकि 2024 में पहली से दूसरी तिमाही के बीच अपने पहले निवेश के रूप में कॉर्पोरेट बॉन्ड को चुनने वाली महिला निवेशकों की संख्या में 54 फीसदी बढ़ोतरी हुई हैं। कॉर्पोरेट बॉन्ड्स विभिन्न सामाजिक आर्थिक वर्ग के निवेशकों को लुभा रहे हैं, गौरतलब है कि अब ये निवेशक सिर्फ महानगरों तक ही सीमित नहीं हैं। 3000 से अधिक पिनकोड्स से कॉर्पोरेट बॉन्ड में निवेश किया गया है और टॉप 10 शहरों ने कुल निवेश में मात्र 43 फीसदी योगदान दिया है। इसका श्रेय कॉर्पोरेट बॉन्ड पर आकर्षक रिटर्न -टेन्योर-रेटिंग के संयोजन का दिया जा सकता है।