Highlights
- पेट्रोल पर प्रति लीटर उत्पाद शुल्क मौजूदा समय में 27.90 रुपये है
- देश में डीजल का बेस प्राइस प्रति लीटर 49.34 रुपये है
- पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स से केंद्र सरकार की कमाई लगभग 24% बढ़ी
नई दिल्ली। आसमान छूती महंगाई और पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी की जिंदगी मुहाल कर दी है। पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के लिए सरकार कच्चे तेल की कीमतों में आए जबरदस्त उछाल को जिम्मेदार ठहरा रही है। लेकिन, हकीकत क्या है। क्या परदे की पीछे की तस्वीर कुछ अलग है। हम आपको बता रहे हैं कि तेल का खेल क्या है और कैसे तेल के जरिये सरकार अपनी तिजोरी भर, कई कल्याणकारी योजनाओं को चला कर वाहवाई लूट रही है। ये बात अलग है कि कल्याणकारी योजनाओं को फायदा उठने वाली जनता के जेंब में हाथ डालकर सरकार उनसे ही योजनाओं को चलाने के पैसे निकाल रही है। देश की राजधानी में बुधवार को पेट्रोल 97.01 रुपये प्रति लीटर मिल रहा हैं, लेकिन उस तेल के रियल बेस प्राइज की बात करें तो वो लगभग 47.99 रुपया हैं। यानी करीब 49 रुपये प्रति लीटर का टैक्स आपसे वसूला जा रहा है। आइये आपको तेल का खेल समझाते हैं।
पेट्रोल पर टैक्स का गणित
सारी लगत के बाद तेल कंपनियां प्रति लीटर पेट्रोल के लिए 47.99 रुपये चार्ज करती है। इस पर प्रति लीटर भाड़ा है 25 पैसे। यानि पेट्रोल पंप तक पहुंने वाले एक लीटर पेट्रोल की कीमत है 48.24 रुपये। इसपर डीलर कमीशन प्रति लीटर 3.77 रुपये जोड दीजिये तो पेट्रोल की कीमत हो गई 52.01 रुपये।
अब देखिये केंद्र और राज्य सरकारें आपसे प्रति लीटर पेट्रोल पर कितना टैक्स वसूलती है। पेट्रोल के हर लीटर से केंद्र सरकार कमाती है 27.09 रुपया, टैक्स के नाम पर। दिल्ली में राज्य सरकार कमाती है 15.50 रुपये। यानि केद्र और राज्य सरकारें मिलकार ऐंठती है 42.60 रुपये। यानि प्रत्येक लीटर पेट्रोल पर आप सरकार को पेट्रोल की कीमत से 81 फीसदी ज्यादा दे देते हैं। कुल मिलाकर आप सरकार को पेट्रोल की दुनी कीमत देते है।
क्या इतना मुनाफा किसी और धंधें में कोई भी कंपनी कमा सकती है। आप कहेंगे नहीं, लेकिन जनाब, ये मुनाफा सरकार आपके से हर लीटर पर कमा रही है। बदले में सत्तारुढ पार्टी के लोग दावा करते है कि देखिये सरकार आपको मुफ्त में वेक्सिन लगवा रही है और कोरोना काल में सरकार ने 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में राशन दिया। सच्चाई ये है कि जनता की जेब से पैसा निकाल कर सरकार कुछ सुविधाएं जनता को मुफ्त में दे रही है, और वाहवाई भी लूट रही है।
पेट्रोल पर टैक्स का बोझ
बेस प्राइस प्रति लीटर: 47.99 रुपये
भाड़ा प्रति लीटर: 0.25 रुपये
पेट्रोल पर प्रति लीटर उत्पाद शुल्क: 27.90 रुपये
डीलर कमीशन (औसत) प्रति लीटर: 3.77 रुपये
वैट (डीलर कमीशन पर वैट सहित) प्रति लीटर: 15.50 रुपये
दिल्ली में पेट्रोल का खुदरा बिक्री मूल्य प्रति लीटर: 95.41 रुपये
डीजल पर टैक्स का बोझ
बेस प्राइस प्रति लीटर: 49.34 रुपये
भाड़ा प्रति लीटर: 0.28 रुपये
पेट्रोल पर प्रति लीटर उत्पाद शुल्क: 21.80 रुपये
डीलर कमीशन (औसत) प्रति लीटर: 2.57 रुपये
वैट (डीलर कमीशन पर वैट सहित) प्रति लीटर: 12.68 रुपये
दिल्ली में पेट्रोल का खुदरा बिक्री मूल्य प्रति लीटर: 86.67 रुपये
आंकेड़े 16 मार्च, 2022 तक के
स्रोत: आईओसीएल
सरकार की कमाई में जोरदार बढ़ोतरी
चालू वित्त वर्ष (2021-22) के पहले नौ महीनों (अप्रैल-दिसंबर) में पेट्रोलियम उत्पादों पर लगने वाले टैक्स से केंद्र सरकार की कमाई लगभग 24 प्रतिशत बढ़कर 3,31,621.07 करोड़ रुपये पर पहुंच गई है।
टैक्स कटौती के बाद भी भारी वसूली
दिवाली से पहले आम लोगों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में प्रति लीटर 5 व 10 रुपये की कटौती की थी। इसके बाद कई राज्य सरकारों ने भी टैक्स में कटौती थी। हालांकि, उससे पहले पेट्रोल पर 32.90 रुपया केंद्र का टैक्स, 22.82 रुपये राज्य का टैक्स और 3.82 रुपये डीलर का कमीशन था।
1 रुपये एक्साइज ड्यूटी बढ़ने से कितना फायदा
पेट्रोल और डीजल की एक्साइज ड्यूटी में हर एक रुपये की बढ़ोतरी से केंद्र सरकार के खजाने में 13,000-14,000 करोड़ रुपये सालाना की बढ़ोतरी होती है।
पेट्रोल-डीजल पर लगातार बढ़ा टैक्स
2014 में केंद्र सरकार पेट्रोल पर 9.48 रुपये/लीटर एक्साइज ड्यूटी लेती थी, जो नवंबर 2021 में बढ़कर 32.90 रुपये हो गया, फिलहाल ये 27.90 रुपये/लीटर है।
2014 में डीजल पर केंद्र सरकार 3.56 रुपये/लीटर एक्साइज ड्यूटी लगाती थी, जो नवंबर 2021 में बढ़कर 31.80 रुपये हो गया था और फिलहाल 21.80 रुपये है।
फरवरी 2020 से मई 2020 तक ही केंद्र ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में क्रमश: 13 रुपए/लीटर और 16 रुपए/लीटर तक की बढ़ोतरी की थी।