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अडानी से लेकर कोका-कोला तक कई कंपनियां बिहार में कर रही हैं इन्वेस्टमेंट, जानिए कैसे बदली निवेशकों की धारणा

पिछले साल राज्य की निवेशक बैठक ‘बिहार बिजनेस कनेक्ट-2023’ में 300 कंपनियों के साथ 50,000 करोड़ रुपये से अधिक के समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए थे।

Edited By: Pawan Jayaswal
Published : Dec 15, 2024 15:59 IST, Updated : Dec 15, 2024 16:03 IST
अडानी ग्रुप और...- India TV Paisa
Photo:FILE अडानी ग्रुप और कोकाकोला

बिहार को कभी उद्योगों के कम अनुकूल माना जाता था। हालांकि, अब हालात बदल चुके हैं। आज राज्य अपने विशाल संसाधनों तथा प्रगतिशील नीति के साथ अडानी ग्रुप से लेकर कोका-कोला जैसी कंपनियों से बड़ा निवेश हासिल कर रहा है। बिहार के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा सीईओ-शैली के दृष्टिकोण के साथ बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है। मिश्रा कहते हैं कि बिहार की औद्योगिक क्षमताओं के बारे में पूर्वाग्रह धीरे-धीरे दूर हो रहा है। हाल में अडानी ग्रुप ने राज्य में 8,700 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है। अंबुजा सीमेंट्स 1,200 करोड़ रुपये की इकाई स्थापित कर रही है और कोका-कोला अपनी बॉटलिंग क्षमता का विस्तार कर रही है।

पिछले साल हुए थे 50,000 करोड़ रुपये के MoU

पिछले साल राज्य की निवेशक बैठक ‘बिहार बिजनेस कनेक्ट-2023’ में 300 कंपनियों के साथ 50,000 करोड़ रुपये से अधिक के समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस सप्ताह होने वाले दूसरे संस्करण में और अधिक निवेश आने की उम्मीद है। मिश्रा कहते हैं कि बिहार में औद्योगिक संभावनाएं असीम हैं। बिहार धारणा का शिकार रहा है। लेकिन अब इसमें बदलाव आ रहा है। राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर माल एवं सेवा कर (GST) की वापसी, स्टाम्प शुल्क माफी, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली और भूमि शुल्क के लिए रियायतों तक के वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करता है। साथ ही, यह न केवल स्वीकृति के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की मंजूरी प्रदान करता है। इसके साथ ही संसाधनों की उपलब्धता, सस्ते श्रम और विशाल बाजार को मिलाकर बिहार औद्योगिक विकास के लिए एक शक्तिशाली मिश्रण है।

खोए हुए अवसर की भरपाई कर रहा बिहार

मिश्रा कहते हैं कि 1948 की मालभाड़ा समानीकरण नीति ने खनिज समृद्ध बिहार में औद्योगीकरण को हतोत्साहित किया। यह नीति पूरे भारत में इस्पात जैसे तैयार उत्पादों के लिए एक समान मूल्य निर्धारण को अनिवार्य बनाती है। उन्होंने कहा, “बिहार खोए हुए अवसर की भरपाई कर रहा है। नई नीतियों और इंफ्रास्ट्रक्चर पर बड़े पैमाने पर खर्च के साथ- चाहे वे सड़कें और राजमार्ग हों या पावर प्लांट और मानव संसाधन की प्रचुरता, मुझे लगता है कि अब हमारे लिए आगे बढ़ने का समय आ गया है।” उन्होंने कहा कि बिहार को रणनीतिक स्थल का लाभ प्राप्त है, क्योंकि यह पूर्वी और उत्तरी भारत तथा नेपाल के विशाल बाजारों के साथ-साथ बांग्लादेश और भूटान तक भी आसानी से पहुंच योग्य है।"

कृषि और पशु उत्पादन का बड़ा आधार

मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले इस राज्य में कृषि और पशु उत्पादन का बड़ा आधार है, जो कृषि आधारित खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय जैसे क्षेत्रों से लेकर चमड़ा और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की प्रचुर आपूर्ति प्रदान करता है। साथ ही, यहां पानी की कोई समस्या नहीं है और सस्ता श्रम उपलब्ध है। राज्य ने गोदाम और विशाल फूड पार्क, चमड़ा प्रसंस्करण केंद्र, एकीकृत विनिर्माण क्लस्टर और मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क भी बनाए हैं। अब यह दो विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) बना रहा है। मिश्रा कहते हैं कि बिहार ने उद्योग लगाने के लिए 3,000 एकड़ का ‘लैंड बैंक’ बनाया है। इसके अलावा, राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में लगभग 24 लाख वर्गफुट तैयार औद्योगिक ‘शेड’ भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जो सभी इंफ्रास्ट्रक्चर आवश्यकताओं से सुसज्जित हैं। ये किसी भी उद्योग के लिए तय दर पर उपलब्ध हैं।

(पीटीआई/भाषा के इनपुट के साथ)

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