पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को भारत के आर्थिक सुधारों के वास्तुकार के रूप में भी जाना जाता है। मनमोहन सिंह के लिए महत्वपूर्ण क्षण साल 1991 में आया, जब उन्होंने प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव के अधीन वित्त मंत्री के रूप में अर्थव्यवस्था को नियंत्रण मुक्त कर दिया। इसके बाद भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश तथा व्यापार में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिले। वित्त मंत्री के रूप में, मनमोहन सिंह ने कई मोर्चों से दबाव के बीच अर्थव्यवस्था को उदार बनाने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया। आइए, जान लेते हैं पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कुछ बड़े फैसले जिसने भारत को प्रगति के पथ लेकर गए।
आर्थिक नीति में बड़ा बदलाव
साल 1991 में, वित्त मंत्री के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह ने लाइसेंस राज को समाप्त कर दिया, जो दशकों से भारतीय अर्थव्यवस्था में धीमी आर्थिक वृद्धि और भ्रष्टाचार का सोर्स था। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को उदार बनाया, जिससे भारत के विकास में नाटकीय रूप से उछाल देखा गया।
विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) अधिनियम 2005
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) अधिनियम 2005 को 23 जून 2005 को भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी मिली। यह अधिनियम 10 फरवरी 2006 को विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) नियम 2006 के साथ लागू हुआ।
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) अधिनियम 2005
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में भारत सरकार ने 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) की शुरुआत की, जो एक सामाजिक सुरक्षा योजना है जिसका उद्देश्य भारत में ग्रामीण समुदायों और मजदूरों को आजीविका, भरण-पोषण और रोजगार प्रदान करना है। नरेगा एक वर्ष में कम से कम 100 दिनों का निश्चित वेतन वाला रोजगार प्रदान करके ग्रामीण परिवारों को आय सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
जीडीपी 10.08% पर पहुंच गई
राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग द्वारा गठित रियल सेक्टर सांख्यिकी समिति द्वारा तैयार जीडीपी पर आंकड़ों के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार के तहत 2006-2007 में भारत ने 10.08% की वृद्धि दर दर्ज की थी। यह 1991 में अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के बाद से भारत में दर्ज की गई सबसे अधिक जीडीपी थी। उच्चतम जीडीपी वृद्धि दर 2006-2007 में 10.08% थी।
भारत-अमेरिका परमाणु समझौता
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार के तहत भारत की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक भारत-अमेरिका परमाणु समझौता या भारत नागरिक परमाणु समझौता पर हस्ताक्षर करना था। भारत और अमेरिका के बीच इस समझौते की रूपरेखा मनमोहन सिंह और संयुक्त राज्य अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश द्वारा एक संयुक्त बयान में बनाई गई थी। समझौते के तहत, भारत अपनी नागरिक और सैन्य परमाणु सुविधाओं को अलग करने के लिए सहमत हुआ और सभी नागरिक परमाणु सुविधाओं को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के अधीन रखा जाएगा। इस समझौते पर 18 जुलाई 2005 को हस्ताक्षर किए गए थे।
जीडीपी को बढ़ाने में मदद किया
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ऐसे दौर की अध्यक्षता की, जब भारतीय अर्थव्यवस्था 8-9% की आर्थिक वृद्धि दर के साथ बढ़ी। 2007 में, भारत ने 9% की अपनी उच्चतम जीडीपी वृद्धि दर हासिल की और दुनिया की दूसरी सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गई। साल 2005 में, सिंह की सरकार ने वैट कर पेश किया जिसने जटिल बिक्री कर की जगह ले ली।
सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) (2005)
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में पारित सूचना का अधिकार अधिनियम एक महत्वपूर्ण कानून है जो भारतीय नागरिकों को सरकारी अधिकारियों और संस्थानों से सूचना मांगने का अधिकार देता है। यह अधिनियम लोक प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही को बढ़ावा देने और भ्रष्टाचार को कम करने में सहायक रहा है।