भारतीय अर्थव्यवस्था का काफी हिस्सा कृषि पर आधारित है। यहां की अधिकतर जनता गांवो में बसती है और वो खेती-किसानी से अपना गुजर-बसर कर रही है। इसी क्रम में मध्य प्रदेश में वन क्षेत्र को बढ़ाने के प्रयास जारी हैं। इसको लेकर बांस का रोपण किया जा रहा है। बीते साल की तुलना में इस साल पांच गुना बांस के रोपण का दावा किया गया है।
आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी में बताया गया है कि वन उत्पादों से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों से आजीविका के अवसर बढ़ाये जा रहे हैं। मध्यप्रदेश राज्य बांस मिशन द्वारा 4500 से ज्यादा महिलाओं को स्व-सहायता समूह के माध्यम से बांस-रोपण से सीधे जोड़ा गया है।
बांस रोपण में पांच गुना की वृद्धि
प्रदेश में बांस रोपण में पांच गुना की वृद्धि हुई है। वर्ष 2019-20 में 2623 हेक्टेयर में बांस रोपण किया गया था, जो इस वर्ष बढ़ कर 13 हजार 914 हेक्टेयर हो गया है। राज्य सरकार के तरफ से भी इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश के कुछ क्षेत्रों में इसे एक रोजगार के रूप में जोड़कर देखा जा रहा है।
गरीबी रेखा से ऊपर आने में मिलेगी मदद
मनरेगा स्कीम में 4511 हेक्टेयर में बांस-रोपण किया जा चुका है। इससे 4500 से अधिक महिलाओं को जोड़ा गया है, जो स्व-सहायता समूह की सदस्य हैं। बांस का उत्पादन शुरू होते ही इन परिवारों की आय में वृद्धि होगी और यह परिवार गरीबी रेखा से ऊपर आ जाएंगे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कृषि एवं वन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बांस-रोपण किया जा रहा है। बीते पांच वर्षों में कृषि क्षेत्र में 18 हजार 781 हेक्टेयर क्षेत्र और मनरेगा के अलावा विभागीय योजनाओं में 14 हजार 862 हेक्टेयर वन क्षेत्र में बांस का रोपण किया गया। इस प्रकार कुल 33 हजार 643 हेक्टेयर में बाँस रोपण का काम हो चुका है।