गलत तरीके से और फर्जीवाड़ा कर जिसने भी घरेलू एलपीजी गैस कनेक्शन लिया है, अब उनकी खैर नहीं। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बुधवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियां फर्जी उपभोक्ताओं को हटाने के लिए रसोई गैस ग्राहकों का आधार के जरिये ई-केवाईसी वेरिफिकेशन कर रही हैं। भाषा की खबर के मुताबिक, आधार की मदद से ई-केवाईसी की प्रक्रिया उन फर्जी ग्राहकों को अलग करने के लिए की जाती है, जिनके नाम पर बुक कराई गई रसोई गैस का इस्तेमाल कॉमर्शियल प्रतिष्ठानों में किया जाता है। परिवारों को 14.2 किलोग्राम वाला सिलेंडर 803 रुपये (लगभग 56.5 रुपये प्रति किलोग्राम) की दर से खरीदना पड़ता है, जबकि होटल और रेस्तरां को 19 किलोग्राम का कॉमर्शियल सिलेंडर 1,646 रुपये (86.3 रुपये प्रति किलोग्राम) में मिलता है।
पुरी ने एक्स पर लिखा पोस्ट
केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखे पोस्ट में कहा कि पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियां एलपीजी ग्राहकों के लिए आधार के माध्यम से ईकेवाईसी सत्यापन कर रही हैं, ताकि उन फर्जी ग्राहकों को हटाया जा सके, जिनके नाम पर कुछ गैस वितरक अक्सर कॉमर्शियल सिलेंडर बुक करते हैं। यह प्रक्रिया आठ महीने से अधिक समय से लागू है। उनका यह पोस्ट केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन के जवाब में आया है, जिन्होंने इस फैसले के चलते आम आदमी को ‘अप्रत्याशित मुश्किल’ पेश आने की बात कही थी।
आम एलपीजी धारकों को असुविधा हुई
सतीशन ने पुरी को लिखे एक पत्र में यह मामला उठाया था। उन्होंने पत्र में लिखा था कि पता चला है कि केंद्र सरकार ने एलपीजी सिलेंडर की वैधता सुनिश्चित करने के लिए गैस कनेक्शन का सत्यापन जरूरी कर दिया है। हालांकि, वैध ग्राहकों की पहचान के लिए सत्यापन जरूरी है, लेकिन संबंधित गैस एजेंसियों पर इस प्रक्रिया को पूरा करने के फैसले से आम एलपीजी धारकों को असुविधा हुई है। इसके जवाब में पुरी ने कहा कि गैस सिलेंडर की सप्लाई करने वाला कर्मचारी ग्राहक की पहचान से संबंधित विवरण को सत्यापित करते हैं।
32.64 करोड़ एक्टिल ग्राहक हैं
कर्मचारी अपने मोबाइल फोन पर ऐप के माध्यम से ग्राहक के आधार की पुष्टि करते हैं। हालांकि, ग्राहक अपनी सुविधानुसार वितरक शोरूम से भी संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा ग्राहक गैस वितरक कंपनी के ऐप के जरिये भी अपना ईकेवाईसी पूरा कर सकते हैं। मंत्रालय के पेट्रोलियम नियोजन और विश्लेषण प्रकोष्ठ के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 32.64 करोड़ सक्रिय घरेलू एलपीजी यूजर्स हैं।