Highlights
- एलआईसी ने आईपीओ के लिए प्राइस बैंड 902 से 949 रुपये के बीच हो सकता है
- एलआईसी के पॉलिसी धारकों को प्रति शेयर 60 रुपये का डिस्काउंट मिल सकता है
- एलआईसी का आईपीओ 4 मई को खुल सकता है। वहीं आईपीओ 9 मई को बंद होगा
नई दिल्ली। जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने बहुप्रतीक्षित प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) से पर्दा हटा दिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एलआईसी ने आईपीओ के लिए प्राइस बैंड 902 से 949 रुपये तय किया है। इसी के साथ ही एलआईसी के पॉलिसी धारकों को प्रति शेयर 60 रुपये का डिस्काउंट मिल सकता है। सूत्रों के मुताबिक एलआईसी का आईपीओ 4 मई को खुल सकता है। वहीं आईपीओ 9 मई को बंद होगा।
जीवन बीमा निगम (एलआईसी) बोर्ड की अहम बैठक आज हुई, जिसमें एलआईसी के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के लॉन्च करने की तारीख, पॉलिसी होल्डर्स, कर्मचारियों और रिटेल निवेशकों को दी जाने वाली छूट पर फैसला किया गया। माना जा रहा है कि कंपनी बुधवार को मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा करेगी।
इससे पहले कुछ मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया था कि सरकार एलआईसी में 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच सकती है। इश्यू का आकार 21,000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है, जिसकी कीमत देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी 6 लाख करोड़ रुपये है।
फरवरी में एलआईसी ने सेबी के पास ड्राफ्ट पेपर दाखिल किया था जिसमें उसने कहा था कि सरकार सरकारी बीमा कंपनी में 5 फीसदी हिस्सेदारी या 31.6 करोड़ शेयर बेचेगी। हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण शेयर बाजारों में चल रही अस्थिरता के कारण आईपीओ की रफ्तार धीमी करनी पड़ी। वहीं सरकार को इश्यू का आकार 3.5 प्रतिशत तक कम करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
पारिवारिक बचत की सबसे बड़ी कंपनी
एलआईसी न सिर्फ सरकारी प्रतिभूतियों की सबसे बड़ी धारक है बल्कि वह इक्विटी की सबसे बड़ी इकलौती मालिक और सबसे बड़ी फंड प्रबंधक होने के साथ पारिवारिक बचत की कंपनी भी है। स्विस ब्रोकरेज फर्म यूबीएस सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एलआईसी के पास कुल 80.7 लाख करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों का करीब 17 प्रतिशत है। इक्विटी बाजार में भी एलआईसी की हिस्सेदारी करीब चार फीसदी है। एलआईसी के पास दिसंबर 2021 में आरआईएल में 10 प्रतिशत, टीसीएस, इंफोसिस एवं आईटीसी में पांच-पांच प्रतिशत और आईसीआईसीआई बैंक, एलएंडटी और एसबीआई में चार-चार प्रतिशत हिस्सेदारी थी।