LIC IPO में निवेश करने वाले निवेशकों को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, आईपीओ की लिस्टिंग प्राइस बैंड से करीब 8 फीसदी नीचे यानी 872 रुपये में हुई है। यह देश का सबसे बड़ा आईपीओ था, इसलिए इसपर सब की नजर थी। इस आईपीओ में एलआईसी के पॉलिसी होल्डर और रिटेल निवेशकों ने सबसे अधिक पैसा लगाया था। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार का सेंटिमेंट कमजोर होने से लिस्टिंग नीचे हुई है। लंबी अवधि के लिए यह एक बेहतरीन निवेश है। यानी लंबी अवधि में निवेशकों को शानदार रिटर्न मिल सकता है। हालांकि, थोड़ी देर बाद मं अब यह शेयर दोनों ही स्टॉक एक्सचेंजों में 900 रुपये के ऊपर पहुंच गया। ऐसे में उम्मीद जग रही है कि आगे और तेजी देखने को मिल सकती है।
निवेशक अब क्या करें
जानकारों का कहना है कि एलआईसी आईपीओ में बंपर लिस्टिंग गेन की उम्मीद करना बेमानी था। इसे लंबी अवधि के निवेश के तौर पर देखना चाहिए। एलआईसी के पॉलिसीधारकों और रिटेल निवेशकों को लंबी अवधि के लिए शेयर रखना चाहिए क्योंकि कंपनी का मूल्यांकन तुलनात्मक रूप से आकर्षक है। यानी लंबी अवधि में निवेशकों को शानदार रिटर्न मिल सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी निवेशक को इस शेयर को लॉस में बेचने से बचना चाहिए। उन्हें इस शेयर पर भरोसा रखना चाहिए। मीडियम से लॉन्ग टर्म में यह शेयर इनवेस्टर्स के लिए फायदेमंद साबित होगा।
ग्रे मार्केट से पहले ही मिले थे संकेत
ग्रे मार्केट में एलआईसी आईपीओ नीचे होने के संकेत पहले से ही मिल रहे थे। सोमवार को एलआईसी आईपीओ 12 रुपये की छूट पर कारोबार कर रहे थे। निगेटिव ग्रे मार्केट प्रीमियम संकेत यह बता रहा था कि LIC के स्टॉक प्राइस बैंड के नीचे लिस्ट होगा। लिस्टिंग से एक दिन पहले सोमवार को एलआईसी आईपीओ का जीएमपी शून्य से 25 रुपये तक नीचे गिरा हुआ था।
निवेशकों की अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी
सरकार को 20,557 करोड़ रुपये के इस आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के लिए घरेलू निवेशकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी। सरकार ने एलआईसी के शेयरों का निर्गम मूल्य 949 रुपये प्रति शेयर तय किया है। हालांकि, एलआईसी के पॉलिसीधारकों और खुदरा निवेशकों को क्रमश: 889 रुपये और 904 रुपये प्रति शेयर के भाव पर शेयर मिले। एलआईसी का आईपीओ नौ मई को बंद हुआ था और 12 मई को बोली लगाने वालों को इसके शेयर आवंटित किए गए।
3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी की पेशकश की गई थी
सरकार ने आईपीओ के जरिये एलआईसी के 22.13 करोड़ से अधिक शेयर यानी 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी की पेशकश की है। इसके लिए कीमत का दायरा 902-949 रुपये प्रति शेयर रखा गया था। एलआईसी के आईपीओ को करीब तीन गुना अभिदान मिला था। इसमें घरेलू निवेशकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जबकि विदेशी निवेशकों की प्रतिक्रिया ‘ठंडी’ रही। यह देश के इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ है।