देश के महशूर कारोबारी अनिल अंबानी की कर्ज में फंसी एक और कंपनी अब बिकने जा रही है। एक समय देश की सबसे बड़ी फाइनेंस कंपनी रही रिलायंस कैपिटल लिमिटेड (आरसीएल) के कर्जदाताओं ने कंपनी की बोली लगाने वाले बोलीदाताओं के लिए ई-नीलामी के संचालन से संबंधित नियमों एवं प्रक्रिया को लगभग अंतिम रूप दे दिया है। सूत्रों ने कहा कि आरसीएल की परिसंपत्तियों के लिए ई-नीलामी 19 दिसंबर को शुरू होगी।
सूत्रों के मुताबिक, इस नीलामी के लिए 5,300 करोड़ रुपये का आधार मूल्य होगा। कॉस्मिया-पीरामल गठजोड़ ने यह बोली लगाई थी। पहले दौर की नीलामी में बोलीकर्ताओं को आधार मूल्य से अधिक की बोली लगानी होगी। यह पहला मौका है जब इतने बड़े पैमाने पर किसी कर्ज से दबी कंपनी की ई-नीलामी की जाएगी। ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता के तहत रिलायंस कैपिटल के लिए बोलियां लगाई जाएंगी।
सूत्रों ने कहा कि बढ़ती हुई बोलियों वाली ई-नीलामी करने का निर्णय एलआईसी एवं ईपीएफओ के आग्रह पर लिया गया है। सरकारी नियंत्रण वाली इन दोनों इकाइयों का कर्जदाता समिति में सम्मिलित नियंत्रण 35 प्रतिशत का है। आरसीएल को समूची कंपनी के लिए चार बाध्यकारी बोलियां मिली थीं। इनके अलावा ओकट्री, हिंदुजा और टॉरेंट ग्रुप ने भी बोलियां लगाई थीं।
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के रूप में कार्यरत रिलायंस कैपिटल के निदेशक मंडल को पिछले साल नवंबर में रिजर्व बैंक ने बर्खास्त करते हुए नागेश्वर राव वाई को प्रशासक नियुक्त कर दिया था। आरसीएल दिवाला संहिता के तहत नीलामी में जाने वाली तीसरी एनबीएफसी है। इसके पहले श्रेई ग्रुप और डीएचएफएल की नीलामी हो चुकी है।