Leave Encashment for Private Sector: कल देश का आम बजट पेश किया गया। वित्त मंत्री ने देश के हर सेक्टर्स के लिए कई अच्छी योजनाएं बताई। बजट में 7 लाख तक की कमाई को टैक्स फ्री करने का भी ऐलान किया। एक और ऐलान हुआ, जिसमें प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों की लीव एनकैशमेंट की बात कही गई। इस खबर से प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी झूम उठे, तो कुछ अभी भी इस सोच में पड़े हैं कि लीव एनकैशमेंट टर्म का मतलब क्या होता है? आज की इस स्टोरी में हम आपके इस कंफ्यूजन का समाधान करेंगे, साथ ही सरकार द्वारा इसको लेकर किए गए प्रावधानों के बारे में भी बताएंगे।
क्या है लीव एनकैशमेंट जिसे सरकार ने बढ़ाकर किया 25 लाख
जब प्राइवेट सेक्टर का कर्मचारी किसी कंपनी में काम करता है और वह वहां से रिटायर होता है तब उसकी बची हुई लीव को कैश में बदलने की प्रक्रिया ही लीव एनकैशमेंट कहलाती है। सरकार पहले 3 लाख रुपये तक की लीव पेमेंट पर टैक्स वसूलती थी, जिसे अब बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया गया है। आसान भाषा में कहे तो जब आप रिटारयर होंगे और अपनी बची हुई लीव को कंपनी से कैश कराएंगे तो उसपर सरकार टैक्स नहीं वसूलेगी, अगर वह 25 लाख या उससे कम है।
प्राइवेट सेक्टर कर्मचारी खुशी से झूम उठे
लीव एनकैशमेंट पर टैक्स छूट की सीमा आखिरी बार साल 2002 में की गई थी। जब सरकार में मूल वेतन की सीमा 30 हजार रुपये प्रतिमाह थी। बता दें, जो लोग रिटायर हो चुके हैं और अभी तक अपना लीव कैश नहीं कराया है और अभी कराते हैं तो उन्हें 10 लाख रुपये की छूट दी जाएगी। सरकार का नया आदेश 1 अप्रैल से लागू होगा। क्योंकि सरकार ने यह बजट 2023-24 वित्त वर्ष के लिए पेश की है।
क्या होता है अलाउंस और रीइंबर्समेंट्स?
बता दें कि सैलरीड लोगों को कंपनी से कई तरह के अलाउंस और रीइंबर्समेंट्स मिलते हैं, जो पूरी तरह से टैक्सेबल होते हैं या इनके कुछ हिस्सों पर टैक्स लगता है। बता दें कि इनमें लगने वाला टैक्स कुछ शर्तों के अधीन होता है, इसके साथ ही इसे हम ऐसे समझ सकते हैं। दूसरे शब्दों में अलाउंस और रीइंबर्समेंट्स को परिभाषित करें तो भत्ता कर्मचारियों को दी जाने वाली वह राशि है, जिसे वह खर्च करना चाहे तो करें या फिर न करें। इसके साथ ही प्रतिपूर्ति कर्मचारियों को मिलने वाली वह राशि है, जोकि कर्मचारियों को अस्पताल में भर्ती, यात्रा आदि पर धन खर्च होने के बाद ही प्राप्त होती है।
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