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'2014 में संकट में थी देश की इकॉनमी, अब 2047 तक बनाना है विकसित देश', जानिए श्वेत पत्र की बड़ी बातें

कुल 59 पृष्ठ के ‘भारतीय अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र’ में कहा गया है कि जब 2014 में नरेन्द्र मोदी सरकार ने सत्ता संभाली, तो अर्थव्यवस्था नाजुक स्थिति में थी। यह एक संकटपूर्ण स्थिति थी।

Edited By: Pawan Jayaswal
Updated on: February 08, 2024 19:33 IST
श्वेत पत्र- India TV Paisa
Photo:FILE श्वेत पत्र

मोदी सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यूपीए गठबंधन के शासन के दौरान हुए आर्थिक कुप्रबंधन पर लोकसभा में श्वेत पत्र पेश किया है। श्वेत पत्र में कहा गया, 'वर्ष 2014 में जब हमने सरकार बनाई, अर्थव्यवस्था नाजुक स्थिति में थी, अत्यधिक कुप्रबंधन और वित्तीय अनुशासनहीनता व्याप्त था और भ्रष्टाचार का बोलबाला था। अत्यधिक संकटमय स्थिति थी। अर्थव्यवस्था को क्रमिक रूप से सुधारने और शासन व्यवस्था को पटरी पर लाने की जिम्मेदारी विशाल थी। उस समय हमारी सरकार दयनीय अवस्था के संबंध में श्वेत पत्र लाने से बचती रही। उससे एक नकारात्मक धारणा बनती और निवेशकों सहित सभी का विश्वास डगमगा गया होता।'

बैंकों में एनपीए का था बुरा हाल

श्वेत पत्र में कहा गया कि यूपीए सरकार का सबसे बड़ा आर्थिक कुप्रबंधन बैंकिंग संकट के रूप में था। जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने कार्यभार संभाला, तब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में जी एनपीए का अनुपात 16.0 प्रतिशत था। और जब उन्होंने पद छोड़ा था, तब यह 7.8 प्रतिशत था। सितंबर 2013 में, यह अनुपात सरकारी बैंकों के कमर्शियल लोन निर्णयों में यूपीए सरकार द्वारा राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण 12.3 प्रतिशत तक चढ़ गया था। वर्ष 2014 में बैंकिंग संकट काफी बड़ा था। मार्च 2004 में सरकारी क्षेत्र के बैंकों द्वारा सकल अग्रिम केवल 6.6 लाख करोड़ रुपये था। मार्च 2012 में यह 39.0 लाख करोड़ रुपये था। मार्च 2014 में प्रकाशित क्रेडिट सुइस रिपोर्ट के मुताबिक एक से कम ब्याज कवरेज अनुपात वाली टॉप-200 कंपनियों पर बैंकों का लगभग 8.6 लाख करोड़ रुपये बकाया था।

हाई जीडीपी ग्रोथ के लिए कड़े फैसले लिये

श्वेत पत्र में कहा गया है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार से विरासत में मिली चुनौतियों पर पिछले 10 वर्षों में सफलतापूर्वक काबू पाया है। साथ ही भारत को उच्च जीडीपी वृद्धि के रास्ते पर लाने के लिए ‘कड़े फैसले’ किए हैं। कुल 59 पृष्ठ के ‘भारतीय अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र’ में कहा गया है कि जब 2014 में नरेन्द्र मोदी सरकार ने सत्ता संभाली, तो अर्थव्यवस्था नाजुक स्थिति में थी। श्वेत पत्र में कहा गया, ‘‘यह एक संकटपूर्ण स्थिति थी। अर्थव्यवस्था को चरण दर चरण सुधारने और शासन प्रणालियों को व्यवस्थित करने की जिम्मेदारी बहुत बड़ी थी।’’

2047 तक देश को बनाना है विकसित राष्ट्र

श्वेत पत्र के मुताबिक, संप्रग सरकार आर्थिक गतिविधियों को सुचारू रूप देने में बुरी तरह विफल रही। इसके बजाय संप्रग सरकार ने बाधाएं पैदा कीं, जिससे अर्थव्यवस्था पीछे रह गई। इस दस्तावेज में साथ ही यह भी कहा गया कि 2014 में राजग सरकार को विरासत में बेहद कमजोर अर्थव्यवस्था मिली थी। श्वेत पत्र में कहा गया कि मोदी सरकार ने व्यापक आर्थिक बेहतरी के लिए कठोर निर्णय लेने की जरूरत को समझा। इसके मुताबिक, ‘‘हमारी सरकार ने अपनी पिछली सरकार के विपरीत एक मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के साथ ही अर्थव्यवस्था की नींव में निवेश किया।’’ श्वेत पत्र में कहा गया, ‘‘पिछले दस वर्षों के कामकाज को देखते हुए, हम विनम्रता और संतुष्टि के साथ कह सकते हैं कि हमने पिछली सरकार द्वारा छोड़ी गईं चुनौतियों पर सफलतापूर्वक काबू पा लिया है।’’ श्वेत पत्र में मौजूदा दौर को कर्तव्य काल बताते हुए कहा गया कि अभी मीलों चलना है और 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है।

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