Highlights
- धान की बुवाई का रकबा 24 फीसदी घटकर 72.24 लाख हेक्टेयर रह गया
- तिलहन का रकबा 20 प्रतिशत घटकर 77.80 लाख हेक्टेयर है
- मध्य भारत में 10% और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में 2% कम बारिश
Kharif Sowing : देश में इस साल केरल तट पर मानसून ने दस्तक तो समय से पहले दे दी थी। लेकिन उत्तर की ओर बढ़ने में मानसून ने बहुत देरी कर दी है। भारतीय कृषि जो कि मौसम और मानसून पर आधारित है, ऐसे में सबसे बुरी मार इसी पर पड़ी है।
देश के कुछ हिस्सों में मानसून की बारिश में देरी के कारण चालू खरीफ सत्र में अब तक धान की बुवाई का रकबा 24 फीसदी घटकर 72.24 लाख हेक्टेयर रह गया है। इस तरह तिलहन का रकबा 20 प्रतिशत घटकर 77.80 लाख हेक्टेयर है।
क्या मानसून लाएगा महंगाई
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) की समान अवधि में 95 लाख हेक्टेयर में धान और 97.56 लाख हेक्टेयर में तिलहन बोया गया था। खरीफ फसलों की बुवाई जून में दक्षिण-पश्चिम मानसून आने के साथ साथ शुरू होती है। धान खरीफ की प्रमुख फसल है। मानसून में देरी का असर फसल की पैदावार पर भी पड़ सकता है। यदि पैदावार घटी तो यह महंगाई के एक और कुचक्र की शुरूआत होगा।
10 प्रतिशत कम हुई बारिश
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने इस साल सामान्य मानसून का अनुमान लगाया है और इस साल एक जून से छह जुलाई के बीच कुल वर्षा ‘सामान्य के करीब’ थी। हालांकि, इस दौरान मध्य भारत में वर्षा में 10 प्रतिशत और देश के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में दो प्रतिशत कम थी। मौसम विभाग के ताजा अनुमानों के मुताबिक छह जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान पूर्व और उत्तर-पूर्वी भारत के प्रमुख चावल उगाने वाले क्षेत्र में बारिश की कमी 36 प्रतिशत तक थी।
कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार चालू खरीफ सत्र में आठ जुलाई तक वाणिज्यिक फसलों - गन्ना, कपास, और जूट का रकबा करीब एक प्रतिशत कम था।
चालू खरीफ सीजन में आठ जुलाई तक फसलों का रकबा
फसल | 9 जुलाई 2022 तक रकबा | 2021 से घट-बढ़ |
दालें | 46.55 लाख हेक्टेयर | 1% बढ़ा |
सोयाबीन | 54.43 लाख हेक्टेयर | 21.74% घटा |
मूंगफली | 20.51 लाख हेक्टेयर | 19% घटा |
मोटे अनाज | 65.31 लाख हेक्टेयर | 2% बढ़ा |