Highlights
- कपास की बुआई पिछले साल की तुलना में 1।8 फीसदी ज्यादा रहने का अनुमान
- सोयाबीन की बुआई पिछले साल के बराबर ही रहने का अनुमान
Kharif Crops: देश में फसल वर्ष 2022-23 में खरीफ फसल के उत्पादन में कमी होने का अनुमान है। ओरिगो कमोडिटीज के ताजा उत्पादन अनुमान के मुताबिक 2022-23 में कुल खरीफ उत्पादन 640।42 मिलियन मीट्रिक टन होने का अनुमान है जो कि पिछले साल से 2 फीसदी कम रह सकता है। 2021-22 में कुल खरीफ उत्पादन 653।59 मिलियन मीट्रिक टन था। ओरिगो कमोडिटीज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट राजीव यादव के मुताबिक, मुख्यता धान, मूंगफली, कैस्टर, गन्ना और जूट के रकबे में कमी की वजह से कुल खरीफ उत्पादन में कमी होने का अनुमान है, साथ ही यील्ड घटने का भी नकारात्मक असर उत्पादन पर पड़ा है।
इन फसलों का उत्पादन बढ़ने का अनुमान
ओरिगो ई-मंडी के के मुताबिक 2022-23 में कॉटन का उत्पादन सालाना आधार पर 8।5 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 34।2 मिलियन मीट्रिक गांठ (1 गांठ=170 किलोग्राम) होने का अनुमान है, जबकि 2021-22 में उत्पादन 31।5 मिलियन गांठ था। कपास की बुआई पिछले साल की तुलना में 1।8 फीसदी ज्यादा रहने का अनुमान है, जबकि इस साल प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में अनुकूल मौसम की स्थिति को देखते हुए पिछले साल की तुलना में उपज (यील्ड) में 6।6 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद है। सोयाबीन के उत्पादन अनुमान का जहां तक सवाल है तो 2022-23 में सोयाबीन उत्पादन सालाना आधार पर 4।5 फीसदी बढ़कर 12।48 मिलियन मीट्रिक टन होने का अनुमान है, जबकि 2021-22 में सोयाबीन का उत्पादन 11।95 मिलियन मीट्रिक टन हुआ था। हालांकि सोयाबीन की बुआई पिछले साल के बराबर ही है लेकिन यील्ड बढ़ने की वजह से उत्पादन ज्यादा हो सकता है।
धान की फसल पर नकारात्मक असर
रिपोर्ट के अनुसार 2022-23 में मक्का उत्पादन सालाना आधार पर 1 फीसदी बढ़कर 21।95 मिलियन मीट्रिक टन होने का अनुमान है, जबकि 2021-22 में उत्पादन 21।77 मिलियन मीट्रिक टन था। वहीं धान की बात करें तो उसके उत्पादन में गिरावट की आशंका जताई गई है। 2022-23 में धान का उत्पादन सालाना आधार पर 13 फीसदी की गिरावट के साथ 96।7 मिलियन मीट्रिक टन होने का अनुमान है, जबकि 2021-22 में धान का उत्पादन 111।17 मिलियन मीट्रिक टन हुआ था। धान के रकबे में पिछले साल की तुलना में करीब 9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार में बारिश कमजोर रहने की वजह से धान की फसल पर नकारात्मक असर पड़ा है।