देश में कहीं बाढ़ तो कहीं सुखाड़ की स्थिति बनी हुई है। किसान (Farmer) दोनों परिस्थिति में नुकसान झेल रहे हैं। इस समय धान की फसल (Paddy Crop) की रोपाई अपने आखिरी स्टेज में होती है। 18 अगस्त को समाप्त सप्ताह में खरीफ फसलों के बुआई क्षेत्र में पिछले वर्ष की तुलना में 2.5 प्रतिशत की गिरावट आई है।
धार की फसल के रोपाई में भी गिरवाट
बैंक ऑफ बड़ौदा की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, खरीफ फसलों की कुल बुआई क्षेत्र लगातार गिर रहा है और पिछले वर्ष की तुलना में 2.5 प्रतिशत की गिरावट आई है। चावल (8.3 प्रतिशत) और दलहन (5.3 प्रतिशत) का बुआई क्षेत्र पिछले वर्ष की तुलना में कम है।"
बैंक ऑफ बड़ौदा ने कहा, "दलहन के भीतर अरहर (7.2 प्रतिशत), उड़द (5.1 प्रतिशत) और मूंग (4.6 प्रतिशत) ने रकबे में काफी गिरावट दर्ज की है। तिलहन का रकबा भी (0.9 प्रतिशत) पिछले साल के स्तर की तुलना में कम बना हुआ है। वहीं कपास (6.7 फीसदी) और गन्ने (1.5 फीसदी) के बुआई क्षेत्र में सुधार दर्ज किया गया है।"
रिपोर्ट में कहा गया है कि 36 उप-मंडलों में से छह में कम बारिश हुई है। इसके अलावा सात राज्य (उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड सहित) बारिश की कमी वाले क्षेत्र में हैं। इसके अलावा, पश्चिम बंगाल में सामान्य बारिश शुरू हो गई है और बुआई गतिविधि में गिरावट के बीच यह एक सकारात्मक संकेत है।
1961 के बाद से अब तक की सबसे कम बारिश
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के डेटा के मुताबिक, देश में एक जून से 20 अगस्त तक 674.9 मिलीमीटर बारिश हुई है। यह 1961 से लेकर 2010 के बीच लगाए गए अधिकारिक अनुमान से 10.5 फीसदी अधिक है। वहीं अगर हम बात गंगा के तटीय राज्यों की करें तो चार राज्य सबसे ज्यादा सुखे की चपेट में है जिसमें बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल और झारखंड शामिल हैं। कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां वर्ष 1961 के बाद से इस साल 1 जून से अगस्त 20 के बीच अब तक की सबसे कम बारिश दर्ज की गई है।
38 फीसदी हिस्सों में कम बारिश
आईएमडी के आंकड़ो के मुताबिक, देश के 38 फीसदी हिस्सों में कम बारिश हुई है। गंगा के चार मैदानी राज्यों के 723 ग्रिड में से 663 ग्रिड में 92 फीसदी से कम बारिश हुई है। यह साल 1961 के बाद से सबसे खराब स्थिति है।