केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा राज्यों की कर्ज सीमा घटाने के फैसले पर गैर भाजपा शासित राज्यों की सरकारें भड़क गई हैं। विरोध की पहली चिंगारी केरल (Kerala) से फूटी है। राज्य सरकार को केंद्र का यह फैसला इतना नागवार गुजरा कि अब वह इस मामले को अदालत में लेकर जाने की तैयारी कर रही है। प्राप्त सूचना के अनुसार केरल सरकार कर्ज सीमा में कटौती करने के केंद्र के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी।
बता दें कि केंद्र ने एक हालिया पत्र में कर्ज सीमा को 15,390 करोड़ रुपये कर दिया है, जो केरल के कर्ज लेने के अधिकार का आधा है। केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी।
केंद्र कर्ज सीमा में की 50 प्रतिशत की कटौती
बालगोपाल ने कहा कि राज्य को कानून के तहत वह मिलना चाहिए जिसका वह हकदार है। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि केरल की कर्ज सीमा आधी किए जाने के बाद विधानसभा में इसके खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया गया था और मंत्रिमंडल ने केंद्र को पत्र भेजने का फैसला किया था। इसके बाद मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री को एक पत्र भेजा था लेकिन उस पर मिली प्रतिक्रिया अनुकूल नहीं है।
फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में राज्य सरकार ने कानूनी कदम आगे बढ़ने का फैसला किया है। हम उच्चतम न्यायालय के कई वकीलों के साथ बातचीत कर रहे हैं। और जल्द ही इस बारे में जरूरी कदम उठाए जाएंगे।’’ उन्होंने मई में कहा था कि जब केंद्र ने कर्ज लेने की सीमा 3.5 प्रतिशत से घटाकर तीन प्रतिशत कर दी थी, तब केरल को 32,442 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद थी। लेकिन बालगोपाल के मुताबिक, केंद्र ने एक हालिया पत्र में कर्ज सीमा को 15,390 करोड़ रुपये कर दिया है, जो केरल के कर्ज लेने के अधिकार का आधा है। उन्होंने केंद्र सरकार पर केरल को निशाना बनाने का आरोप लगाते हुए कहा था कि कर्ज सीमा को आधा करने का कदम ’राजनीतिक बदले’ की कार्रवाई है।