भारत में गूगल अपनी मोनोपॉली के चक्कर में कॉम्पटीशन कमीशन के जुर्माने के खिलाफ अदालती कार्रवाई में उलझा है। लेकिन अब उसी के देश अमेरिका में गूगल की इस हेकड़ी का खत्म करने की कवायद शुरू की गई है। अमेरिकी न्याय विभाग और आठ राज्यों ने गूगल के खिलाफ प्रतिस्पर्धा-रोधी कारोबारी गतिविधियों के चलते मुकदमा दायर किया।
मुकदमे में ऑनलाइन विज्ञापन के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर गूगल के कथित एकाधिकार को तोड़ने की मांग की गई है और आरोप लगाया गया है कि इससे विज्ञापनदाताओं, उपभोक्ताओं और यहां तक कि अमेरिकी सरकार को भी नुकसान पहुंच रहा है। सरकार ने शिकायत में आरोप लगाया कि गूगल अधिग्रहण के जरिए ऑनलाइन विज्ञापन बाज़ार में प्रतिद्वंद्वियों को ''बेअसर या खत्म'' करना चाहता है।
गूगल की प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रथाओं के चलते विज्ञापनदाताओं के लिए दूसरे प्रतियोगियों की पेशकश का उपयोग करना मुश्किल हो रहा है। माना जा रहा है कि अमेरिका में अब बड़ी तकनीकी कंपनियों पर लगाम लगाने की कवायद की जा रही है। अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''एकाधिकार से मुक्त और निष्पक्ष बाजारों को नुकसान पहुंचता है, जिस पर हमारी अर्थव्यवस्था आधारित है। वे नवाचार को रोकते हैं। वे उत्पादकों और श्रमिकों को नुकसान पहुंचाते हैं और वे उपभोक्ताओं के लिए लागत बढ़ाते हैं।''
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गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट इंक ने एक बयान में कहा कि यह मुकदमा नवाचार को धीमा कर देगा, विज्ञापन शुल्क बढ़ाएगा और हजारों छोटे व्यवसायों तथा प्रकाशकों की वृद्धि को कठिन बना देगा। इस समय गूगल की आमदनी में डिजिटल विज्ञापन की 80 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
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