बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को जॉनसन एंड जॉनसन को उसका लाइसेंस 15 दिसंबर को समाप्त होने के बावजूद अपने बेबी पाउडर का उत्पादन जारी रखने की अनुमति दी है। हालांकि, जॉनसन बेबी पाउडर की बिक्री अगले आदेश तक नहीं की जा सकेगी।
न्यायमूर्ति आर डी धानुका और न्यायमूर्ति मिलिंद सथाये की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार के दो आदेशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया है। महाराष्ट्र सरकार ने अपने आदेश में 15 सितंबर को इसके प्रोडक्ट का लाइसेंस रद्द कर दिया था और 20 सितंबर को एक दूसरे आदेश में बेबी पाउडर के प्रोडक्शन और बिक्री पर तत्काल रोक लगा दी गई थी।
कंपनी के इस बयान पर कोर्ट ने सुनाया फैसला
कंपनी की ओर से पेश वकील वेंकटेश धोंड ने कहा कि कंपनी का लाइसेंस खत्म हो गया है, इसलिए उसे सीमित सुरक्षा की आवश्यकता है। इसके बाद अदालत ने अपने अंतरिम आदेश को जारी रखते हुए कहा कि कंपनी उत्पादन जारी रख सकती है, लेकिन अगले आदेश तक बिक्री पर रोक रहेगी।
इस वजह से रद्द हुआ था लाइसेंस
एक प्रेस रिलीज के मुताबिक, FDA ने गुणवत्ता जांच के उद्देश्य से पुणे और नासिक से जॉनसन के बेबी पाउडर के नमूने लिए थे। सरकारी एनालिसिस्ट ने पाउडर के नमूनों को मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं होना बताया था क्योंकि वे पीएच जांच में शिशुओं के त्वचा पाउडर के लिए आईएस 5339:2004 की विशिष्टता का पालन नहीं करते हैं। इसके बाद FDA ने जॉनसन एंड जॉनसन को Drugs and Cosmetics Act-1940 और नियमों के तहत एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। इसके अलावा कंपनी को यह भी आदेश दिया गया कि इस प्रोडक्ट का सारा स्टॉक बाजार से वापस बुलाया जाए। जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी ने सरकारी एनालिसिस्ट की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया और इसे केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला(Central Pharmaceutical Laboratory) में भेजने के लिए कोर्ट में चुनौती दी थी। इस संबंध में कोर्ट ने फैसला सुनाया है।
दुनिया भर से अपने प्रोडक्ट को बंद करने का ऐलान कर चुकी है कंपनी
12 अगस्त को कंपनी ने कहा था कि 2023 से दुनिया भर में जॉनसन ऐंड जॉनसन (johnson and johnson) का बेबी पाउडर (Baby Powder) बंद हो जाएगा। कंपनी का कहना है कि वो कानूनी लड़ाई से थक चुकी है। इसलिए वह अपने बेबी टैल्कम पाउडर के प्रोडक्शन पर रोक लगाने जा रही है।
बंद करने की क्यों आई नौबत?
कंपनी के उपर आरोप है कि उसका बेबी पाउडर कैंसर का कारण बन रहा है। ऐसा उसके उपर सिर्फ एक देश में आरोप नहीं लगा है। दुनियाभर में हजारों केस दायर हुए हैं। जब कंपनी के उपर कैंसर होने के आरोप के बाद रिपोर्ट सामने आया तो कंपनी की सेल पर भी असर पड़ा और भारी गिरावट देखने को मिली। कंपनी अब टैल्क बेस्ड पाउडर की बदले कॉर्न स्टार्च बेस्ड पाउडर मार्केट में लाएगी।
टैल्क बेस्ड पाउडर कैसे बनता है?
टैल्क जमीन के अंदर पाया जाता है। यह पूर्ण रुप से प्राकृतिक होता है। इसमें मैग्नीशियम, सिलिकॉन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन होता है। अगर आप उसके रासायनिक रुप को देखेंगे तो आपको उसमें मैग्नीशियम सिलिकेट नजर आएगा, जिसका केमिकल फॉर्मूला Mg3Si4O10(OH)2 है। आपको बता दें कि इसका इस्तेमाल नमी सोखने में भी किया जाता है। यह कॉस्मेटिक्स और पर्सनल केयर बनाने में भी यूज होता है।
क्यों लगते हैं आरोप?
टैल्क जमीन की खुदाई करने के बाद मिलता है, जहां पर इसके लिए खुदाई की जाती है, वहीं पर एस्बेस्टस भी पाया जाता है। एस्बेस्टस से कैंसर होने का खतरा होता है। अब दोनों आस-पास ही पाए जाते हैं। इसलिए कंपनी के उपर ये आरोप लगाया जा रहा है कि उसके टैल्क बेस्ड पाउडर में भी एस्बस्टस है, जो कैसर को जन्म दे रहा है। हालांकि कंपनी इसे सुरक्षित बता रही है। उसका कहना है कि वह रिसर्च करने के बाद इसे तैयार करती है।