सुप्रीम कोर्ट ने नकदी संकट से जूझ रही विमानन कंपनी जेट एयरवेज के नए मालिक जालान-कालरॉक गठजोड़ को 31 जनवरी तक एसबीआई के एस्क्रो खाते में 150 करोड़ रुपये जमा करने का बृहस्पतिवार को निर्देश दिया। इसके साथ ही न्यायालय ने कहा कि अगर गठजोड़ ऐसा नहीं करता है तो इसका मतलब होगा कि वह एयरलाइन में नई जान डालने के लिए रखी गई समाधान योजना की शर्तों का पालन नहीं कर रहा है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि प्रदर्शन बैंक गारंटी (पीबीजी) में से 150 करोड़ रुपये का समायोजन गठजोड़ पर बकाया 350 करोड़ रुपये के भुगतान में करने का राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) का फैसला सही नहीं था।
एसबीआई के एस्क्रो अकाउंट में जमा की जानी थी
यह रकम एसबीआई के एस्क्रो अकाउंट में जमा की जानी थी। एस्क्रो एक ऐसी अवधारणा है जिसमें तीसरे पक्ष के पास रखी परिसंपत्ति या धन को लेनदेन पूरा करने की प्रक्रिया में दो अन्य पक्षों की तरफ से रखा जाता है। प्रदर्शन गारंटी के तहत, प्रदर्शन या संचालन में कोई देरी होने पर बैंक को मौद्रिक मुआवजे का भुगतान करना पड़ता है। सेवा अपर्याप्त रूप से वितरित होने पर भी भुगतान करना होगा। उसने गठजोड़ की मांग के अनुरूप 150 करोड़ रुपये जमा करने का समय 31 जनवरी से बढ़ाकर 15 फरवरी करने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने मामले को शीघ्र निपटान के लिए एनसीएलएटी के पास वापस भेज दिया। इस बीच, शीर्ष अदालत ने भविष्य निधि (पीएफ) एवं ग्रेच्युटी के बकाया भुगतान की मांग करने वाली जेट एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर्स वेलफेयर एसोसिएशन की एक याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। पीएफ एवं ग्रेच्युटी के बकाये के रूप में 200 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया जाना है।
पीएफ, ग्रेच्युटी बकाए के लिए कितना भुगतान किया
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को जेट एयरवेज के नये मालिकों जालान-कालरॉक गठजोड़ से पूछा था कि उन्होंने पूर्व कर्मचारियों की भविष्य निधि (पीएफ) और ग्रेच्युटी बकाये के लिए कितना भुगतान किया है। शीर्ष अदालत ने दिवाला अपीलीय न्यायाधिकरण एनसीएलएटी के 21 अक्टूबर, 2022 के आदेश के खिलाफ जेट एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर्स वेलफेयर एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह सवाल किया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने गठजोड़ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से पूछा, हमें बताइए कि आपने (जेट एयरवेज के) कर्मचारियों को भविष्य निधि और ग्रेच्युटी बकाया के लिए कितना भुगतान किया है। नकदी संकट से जूझ रही जेट एयरवेज की समाधान योजना के तहत जालान कालरॉक गठजोड़ को उसका स्वामित्व मिला था। रोहतगी ने जवाब दिया, हमें इकाई पर एक प्रतिशत भी नियंत्रण नहीं मिला है।'' उन्होंने कहा कि गठजोड़ मंजूर समाधान योजना की शर्तों के लिए प्रतिबद्ध है। वकीलों के अनुसार गठजोड़ को पूर्व कर्मचारियों को पीएफ और ग्रेच्युटी बकाया के रूप में 200 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान करना है।