दुनिया की चौथी इकोनॉमी यानी जापान को अक्टूबर में फिर झटका लगा है। लगातार चौथे महीने जापान को व्यापार में घाटा हुआ है। हालांकि आंकड़े तब आए हैं जब निर्यात में सुधार हुआ है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, जापान के वित्त मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि व्यापार घाटा, पिछले महीने कुल 461 अरब येन (3 अरब अमेरिकी डॉलर) रहा। अक्टूबर में निर्यात में पिछले साल की तुलना में 3.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो हाल के महीनों की तुलना में तेजी से बढ़ा है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, ऐसा सेमीकंडक्टर उत्पादन के लिए उपकरणों की शिपमेंट में बढ़ोतरी से हो सका है। लेकिन आयात, जो पिछले साल की तुलना में 0.4 प्रतिशत अधिक है, फिर भी निर्यात से बड़ा है।
टैरिफ में तेज वृद्धि का जापान को है आशंका
खबर के मुताबिक, व्यापार को लेकर एक बड़ी अनिश्चितता डोनाल्ड ट्रम्प के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में फिर से चुने जाने के कारण बनी हुई है। इसकी वजह यह है क्योंकि वह टैरिफ में तेज वृद्धि के पक्ष में हैं। निर्यात जापान के लिए विकास का एक मुख्य इंजन है। नए प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा आर्थिक और व्यापारिक संबंधों के साथ-साथ सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए एशियाई देशों के साथ-साथ यूरोप और दक्षिण अमेरिका के नेताओं से मिलने में व्यस्त हैं।
कमजोर होती मुद्रा है चिंता का विषय
जापान के लिए एक और चिंता का विषय कमजोर होती मुद्रा है। हाल ही में अमेरिकी डॉलर लगभग 155 जापानी येन पर कारोबार कर रहा है, जो एक साल पहले 140-येन के स्तर से ऊपर है। मुद्रास्फीति और बढ़ती ऊर्जा कीमतें आयात लागत को बढ़ा रही हैं, जबकि वैश्विक मांग में कमी निर्यात को कम कर रही है। लेकिन माना जाता है कि विदेशी मांग में हाल ही में आई गिरावट आंशिक रूप से आंधी जैसे अस्थायी व्यवधानों के कारण है, जबकि निर्यात में गिरावट जापान में ऑटो उत्पादन में व्यवधान से संबंधित है।
जापान की इकोनॉमी का आकार
फोर्ब्स के मुताबिक, जापान की इकोनॉमी का आकार फिलहाल 4.07 खरब डॉलर है। साल 2024 के लिए जापान की जीडीपी की ग्रोथ रेट का अनुमान 0.3% है। प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (वर्तमान मूल्य अमेरिकी डॉलर में) 32.86 हजार डॉलर है। जापान को दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकोनॉमी भारत से कड़ी टक्कर मिल रही है। फोर्ब्स के मुताबिक, भारत की इकोनॉमी का आकार फिलहाल 3.89 खरब डॉलर है। लेकिन भारत की जीडीपी की रफ्तार 7 प्रतिशत है। माना जा रहा है कि भारत साल 2025 में जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगा।