देश में हर 5 में से 3 लोगों का मानना है कि लोन के लिए फाइल किए जाने वाले ऐप्लिकेशन में इनकम को बढ़ा-चढ़ाकर बताना सामान्य बात है। फाइनेंशियल फ्रॉड को लेकर लोगों की राय जानने के लिए किए गए एक सर्वे में ये बात सामने आई है। ग्लोबल ऐनालिसिस सॉफ्टवेयर कंपनी FICO के एक सर्वे में कहा गया है कि एक चौथाई से ज्यादा (27 प्रतिशत) भारतीयों का मानना है कि लोगों द्वारा होम लोन या अन्य लोन के आवेदनों में जान-बूझकर अपनी इनकम को गलत तरीके से दिखाना सामान्य बात है।
जटिल होती जा रही है वित्तीय ईमानदारी
सर्वे के अनुसार, “5 में से 3 लोग (63 प्रतिशत) मानते हैं कि लोन के लिए आवेदनों में अपनी आय को बढ़ा-चढ़ाकर बताना ठीक या सामान्य बात है, जो वैश्विक औसत 39 प्रतिशत से काफी ज्यादा है।” भारत में 1000 लोगों पर किए गए ग्लोबल सर्वे में कहा गया है कि आधे से ज्यादा (54 प्रतिशत) लोगों का मानना है कि इंश्योरेंस क्लेम में गड़बडी करना भी सामान्य बात है। कई भारतीय पर्सनल लोन ऐप्लिकेशन में इनकम को बढ़ा-चढ़ाकर बताना ठीक मानते हैं, जिससे वित्तीय ईमानदारी और भी जटिल हो जाती है।
बैंकों को करना पड़ रहा है झूठे लोन का सामना
सिर्फ एक तिहाई (33 प्रतिशत) उपभोक्ताओं का मानना है कि पर्सनल लोन आवेदन में आय को बढ़ा-चढ़ाकर बताना कभी भी स्वीकार्य नहीं है, जबकि एक तिहाई (35 प्रतिशत) लोग इसे कुछ खास परिस्थितियों में सही मानते हैं। एफआईसीओ में एशिया पैसिफिक रीजन के रिस्क लाइफसाइकल और डिसीजन मैनेजमेंट हेड आशीष शर्मा ने कहा, “60 प्रतिशत से ज्यादा भारतीय कंज्यूमर इनकम को गलत बताने को सही या उचित मानते हैं। बैंकों को 'झूठे लोन' की वास्तविक समस्या का सामना करना पड़ रहा है, जो रिस्क ऐसेसमेंट को गलत कर सकता है और खराब ऋण दरों को बढ़ा सकता है।”
बाकी देशों में काफी अलग है लोगों की सोच
सर्वे में लगभग 1000 भारतीय वयस्कों के साथ-साथ कनाडा, अमेरिका, ब्राजील, कोलंबिया, मेक्सिको, फिलीपीन, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रिटेन और स्पेन के लगभग 12,000 अन्य लोगों को शामिल किया गया। ग्लोबल लेवल पर लोगों की सोच काफी अलग-अलग है। सर्वे से पता चलता है कि 56 प्रतिशत लोग लोन ऐप्लिकेशन पर इनकम को बढ़ा-चढ़ाकर बताने के विचार को पूरी तरह से गलत मानते हैं, इसे कभी भी स्वीकार नहीं करते। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ 4 में से 1 (24 प्रतिशत) लोग इसे कुछ परिस्थितियों में सही मानते हैं और सिर्फ 7 में से 1 (15 प्रतिशत) इसे सामान्य मानते हैं।