Highlights
- वित्त वर्ष 2021-22 के अंत तक 500 रुपये के जाली नोट बढ़कर 39,453 हुए
- वित्त वर्ष 2016-17 में 500 रुपये के जाली नोट की कुल संख्या मात्र 199 थी
- 100, 200 या 2000 रुपये के जाली नोटों की संख्या में कमी आई
नई दिल्ली। एक बार फिर जाली नोट चलाने वाले गिरोह सक्रिय होते दिख रहे हैं। ऐसा इसलिए कि देश में बीते चार साल में 500 रुपये के जाली नोट की संख्या तेजी से बढ़ी है। राज्यसभा में कांग्रेस के नेता के.सी. वेणुगोपाल के प्रश्न के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने जो जानकारी दी है उससे पता चला है कि देश में 500 रुपये के जाली नोटों की संख्या बीते चार साल में कई गुना बढ़ गए हैं। वहीं, 100, 200, 2000 रुपये के जाली नोटों की संख्या में कमी देखी गई है। यानी, बाजार में 500 रुपये के जाली नोटों की संख्या सबसे अधिक है।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने यह जानकारी दी
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा राज्यसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक, साल 2016 यानी नोटबंदी के बाद 500 रुपये के जाली नोट (एमजी नवीन श्रृखंला) की कुल संख्या मात्र 199 थी। वहीं, यह वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर 9,892, 2018-19 में बढ़कर 21,865, 2019-20 में बढ़कर 30,054 और 2021-22 में बढ़कर 39,453 पहुंच गई है। यानी, 500 रुपये में जाली नोटों की संख्या सबसे तेजी से बढ़ी है। वहीं, इस दौरान 100, 200 या 2000 रुपये के जाली नोटों की संख्या में कमी आई है।
नोटबंदी पर पूछे सवाल का भी जवाब
वित्त राज्य मंत्री ने नोटबंदी के उद्देश्य पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि नोटबंदी का उद्देश्य देश में काले धन और जाली मुद्रा को खत्म करना था। इसके साथ ही आतंकी फंडिंग पर रोक लगाना और डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ाना था। इन सारे उद्देश्य को देखते हुए देश में नोटबंदी किया गया था। उल्लेखनीय है कि नोटबंदी में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट बंद किए गए थे।