
इंश्योरेंस रेगुलेटर भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व अध्यक्ष दिनेश खारा की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति गठित की है। यह समिति बीमा अधिनियम, 1938 में प्रस्तावित संशोधनों की जांच करेगी और इसके अमल के लिए रूपरेखा सुझाएगी। पीटीआई की खबर के मुताबिक, सरकार ने बीमा कानून में संशोधन कर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को 100 प्रतिशत करने और अन्य बदलाव प्रस्तावित किए हैं।
एफडीआई सीमा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत
खबर के मुताबिक, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को अपने बजट में घोषणा की थी कि बीमा क्षेत्र के लिए एफडीआई सीमा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत की जाएगी। यह बढ़ी हुई सीमा उन कंपनियों के लिए उपलब्ध होगी, जो पूरा प्रीमियम भारत में निवेश करती हैं। विदेशी निवेश से जुड़ी मौजूदा सुरक्षा और शर्तों की समीक्षा की जाएगी और उन्हें सरल बनाया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, खारा की अध्यक्षता वाली समिति ने इस सप्ताह की शुरुआत में अपनी पहली बैठक की।
समिति में हैं ये सदस्य
सात सदस्यीय समिति के बाकी सदस्य हैं- आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के पूर्व एमडी और सीईओ एनएस कन्नन, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के पूर्व सीएमडी गिरीश राधाकृष्णन, आईआरडीएआई के पूर्व सदस्य राकेश जोशी, आरबीआई के पूर्व कार्यकारी निदेशक सौरभ सिन्हा, एमएफआईएन के एमडी और सीईओ आलोक मिश्रा और कानूनी विशेषज्ञ एल विश्वनाथन। समिति की तरफ से बीमा कानून में प्रस्तावित संशोधनों के बाद, बीमा अधिनियम में कई सक्षम प्रावधान होंगे। समिति यह देखेगी कि उन प्रावधानों को विनियमों और परिपत्रों के माध्यम से कैसे सक्षम किया जा सकता है।
इन अधिनियम में होगा संशोधन
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई सीमा बढ़ाने के लिए, सरकार को बीमा अधिनियम 1938, जीवन बीमा निगम अधिनियम 1956 और बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम 1999 में संशोधन करना होगा। बीमा अधिनियम 1938 भारत में बीमा के लिए विधायी रूपरेखा प्रदान करने वाला प्रमुख अधिनियम है। मौजूदा समय में, भारत में 25 जीवन बीमा कंपनियां और 34 गैर-जीवन या सामान्य बीमा फर्म हैं। इनमें एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड और ईसीजीसी लिमिटेड जैसी कंपनियां शामिल हैं।
वित्तीय सेवा सचिव एम नागराजू ने कहा कि हमने आंतरिक सरकारी सलाह करीब-करीब पूरा कर लिया है। फिर, हम अगली कार्रवाई करेंगे। दूसरे नियम भी हैं, निवेश कैसे किया जाएगा और एफडीआई होने पर लाभ कैसे वापस किया जाएगा। यह भी प्रस्तावित संशोधन विधेयक का हिस्सा होगा, जिसे संसद में लाया जाएगा। एक बार इसे मंजूरी मिल जाने के बाद, उन नियमों को भी नोटिफाई कर दिया जाएगा, ताकि बीमा क्षेत्र में पैठ बढ़ाने के लिए हम जो भी सुधार करना चाहते हैं, वे इन उपायों के माध्यम से किए जा सकें।