Highlights
- कॉकटेल थिरेपी इलाज को हेल्थ इंश्योरेंस के तहत कवर देना होगा
- केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन द्वारा बीते साल ही मिली मंजूरी
- बीमा कंपनियों द्वारा दावों को रद्द करने की शिकायत के बाद कदम
नई दिल्ली। कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट के बढ़ते खतरों के बीच बीमा नियामक इरडा ने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी धारकों को बड़ा राहत देने का काम किया है। एक अग्रेजी अखबार के अनुसार, इरडा ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि कोरोना के इलाज में कॉकटेल थिरेपी को "प्रायोगिक" कहकर खारिज न करें। रिपोर्ट के अनुसार, सभी गैर-जीवन और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के प्रमुखों को सर्कुलर मिली शिकायतों के बाद जारी किया गया है कि जिसमें कहा गया है कि बीमा कंपनियां तीसरी लहर में उन इलाज के दावों को खारिज कर रहीं रहे हैं जहां अस्पतालों ने महंगी नई एंटीवायरल दवाओं का इस्तेमाल किया है।
पहले ही दी गई थी मंजूरी
नियामक ने बताया है कि भारत में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन द्वारा मई 2021 में एंटीबॉडी कॉकटेल थिरेपी को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी गई थी। ऐसे में किसी बीमा कंपनी द्वारा इस आधार पर दावा रद्द करना गलत है। विशेषज्ञों का कहना है कि इरडा के इस फैसले से हेल्थ इंश्योरेंस धारकों को बड़ी राहत मिलेगी। ओमिक्रॉन संकट के बीच अस्पताल कॉकटेल थिरेपी का तेजी से इस्तेमाल कर रहे हैं।
क्या है कॉकटेल थिरेपी
कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली यह थेरेपी दो मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का कॉकटेल या मिश्रण है। एंटीबॉडी प्रोटीन है, जो शरीर में किसी वायरस के खिलाफ सुरक्षा के लिए खुद पैदा होती है। लेकिन, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को प्रयोगशाला में तैयार किया जाता है, जो किसी खास बीमारी से लड़ने के लिए बनाई जाती है। इस एंटीबॉडी कॉकटेल में दो दवा हैं- कैसिरिविमैब और इमडेविमैब है। दो एंटीबॉडी के इस्तेमाल से वायरस के खिलाफ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता का बचाव भी होता है।