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LIC के IPO ने घाटे के बावजूद 2022 में बाजार की बचाई लाज, 2023 की सोच कर कंपनियों के छूटे पसीने?

शेयर बाजार से प्राप्त आंकड़ों को देखें तो इस साल आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के जरिये वर्ष 2022 में महज 57,000 करोड़ रुपये ही जुटाए जा सके।

Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: December 19, 2022 12:00 IST
lic ipo- India TV Paisa
Photo:FILE lic ipo

भारतीय शेयर बाजार में इस साल आए करीब 3 दर्जन IPO में से भले ही 75 फीसदी ने निवेशकों को लाभ दिया हो। लेकिन अर्थव्यवस्था के मामले में IPO बाजार की हालत बहुत ही पतली रही। इस साल आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के जरिये वर्ष 2022 में महज 57,000 करोड़ रुपये ही जुटाए जा सके। जो कि पिछले साल के मुकाबले लगभग आधी है। यह हालत तब है जब जुटाई गई राशि में 35 फीसदी की हिस्सेदारी सिर्फ LIC के IPO की है। 

शेयर बाजार से प्राप्त आंकड़ों को देखें तो इस साल आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के जरिये वर्ष 2022 में महज 57,000 करोड़ रुपये ही जुटाए जा सके। नए साल में गहराती मंदी की आशंकाओं को देखते हुए इसमें और भी गिरावट आने का डर सता रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर मूल्य में गिरावट आने और भू-राजनीतिक तनाव के कारण बाजार में काफी अस्थिरता का माहौल है, जिससे कंपनियां नए आईपीओ लाने में हिचक रही हैं। 

LIC के IPO ने बचाई नैया 

इस साल आईपीओ के जरिये कंपनियों ने सिर्फ 57000 करोड़ ही जुटाए हैं। जुटाए गए कोष में से 20,557 करोड़ रुपये यानी 35 फीसदी हिस्सेदारी अकेले LIC के IPO की थी। अगर इस साल एलआईसी का आईपीओ नहीं आया होता तो आरंभिक शेयर बिक्री से होने वाला कुल संग्रह घटकर मात्र 30000 करोड़ रह जाता और इसमें करीब 70 प्रतिशत की कमी दर्ज की जाती। 

बढ़ती महंगाई और ब्याज ने बिगाड़े सेंटिमेंट

बढ़ती मुद्रास्फीति के बीच ब्याज दरों में बढ़ोतरी और मंदी की आशंका के कारण 2022 का साल निवेशकों के लिए परेशानी भरा रहा। ट्रू बीकन एंड जिरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामत ने कहा, ‘‘दुनियाभर में वृद्धि के मंद पड़ने के बीच 2023 मुश्किल साल रहने वाला है। भारत में भी इसके दुष्प्रभाव नजर आएंगे। मेरा अनुमान है कि 2023 में बाजार नरम रह सकता है और आईपीओ के जरिये पूंजी जुटाने की गतिविधियों में भी अगले वर्ष कमी आ सकती है या फिर यह 2022 के स्तर पर ही रह सकता है।’’ 

2023 के लिए संकेत और भी बुरे 

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेस में शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि शेयर बाजारों में अस्थिरता रहने की आशंका के बीच 2023 में आईपीओ का कुल आकार कम रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि हाल में आए आईपीओ के कमजोर प्रदर्शन का भी निवेशकों पर असर पड़ने और उसकी वजह से निकट भविष्य में कमजोर प्रतिक्रिया रहने का अनुमान है। 

2021 में आईपीओ से जुटाए 1.2 लाख करोड़ 

प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 16 दिसंबर तक कुल 36 कंपनियां अपने आईपीओ लेकर आईं जिससे 56,940 करोड़ रुपये जुटाए गए। अगले हफ्ते दो और कंपनियों के आईपीओ आने वाले हैं जिसके बाद यह राशि और बढ़ जाएगी। वर्ष 2021 में 63 कंपनियों ने सार्वजनिक निर्गम से 1.2 लाख करोड़ रुपये जुटाये थे जो बीते दो दशकों में आईपीओ का सबसे अच्छा साल रहा था। इसके पहले 2020 में 15 कंपनियों ने आईपीओ के जरिए 26,611 करोड़ रुपये जुटाये थे। 

यूक्रेन युद्ध से मची खलबली

आईपीओ के अलावा रूचि सोया की सार्वजनिक पेशकश में 4,300 करोड़ रुपये जुटाए गए थे। फरवरी में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने की वजह से निवेशकों के लिए माहौल परेशानी भरा रहा क्योंकि भारत समेत दुनियाभर के बाजारों में गिरावट आई। इसके अलावा दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने बढ़ती मुद्रास्फीति को काबू में करनेके लिए ब्याज दरें बढ़ाईं इससे भी प्राथमिक बाजार की धारणा प्रभावित हुई। इसका असर शेयरों के दाम पर पड़ा और कंपनियों ने आईपीओ लाने की योजना टाल दी।

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