Highlights
- कोरोना आने से मार्च, 2020 से लेकर अब तक अंतरराष्ट्रीय उड़ान बंद
- टैक्स कलेक्शन में ट्रैवल और हॉस्पिटैलिटी का योगदान करीब 10% है
- कोरोना के चलते इस इंडस्ट्री में काम करने वाले 25 लाख लोगों की नौकरी खत्म हो चुकी है
नई दिल्ली। कोरोना संकट को देखते हुए भारत के डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) की ओर से रेगुलर अंतरराष्ट्रीय हवाई उड़ानों का संचलान पर लगे प्रतिबंध को जारी रखने का फैसला को लेकर ट्रेवॅल ऐंड टूरिज्म इंडस्ट्री ने नराजगी जताई है और कहा कि यह फैसला काफी घातक है। कोरोना आने से मार्च, 2020 से लेकर अब तक अंतरराष्ट्रीय उड़ान बंद होने से इस इंडस्ट्री की कमर टूट चुकी है। ऐसे में जब हालात बेहतर हो रहे हैं, फिर भी अंतरराष्ट्रीय उड़ान शुरू नहीं करने से संकट और गहराएगा। इस इंडस्ट्री में काम करने वाले करीब 10 लाख और लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है।
इकोनॉमी में ट्रैवल और हॉस्पिटैलिटी का बड़ा योगदान
एसटीआईसी ट्रैवल ग्रुप और कन्फेडरेशन ऑफ टुरिज्म प्रफेशनल्स के अध्यक्ष,सुभाष गोयल ने इंडिया टीवी को बताया कि सकार के कुल टैक्स कलेक्शन में ट्रैवल और हॉस्पिटैलिटी का योगदान करीब 10% है। 2019 की बात करें तो ट्रैवल और हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री ने 30 बिलियन डॉलर की कमाई सिर्फ विदेशी यात्रियों से की थी। कोविड से पहले यानी 2019 में करीब 25 मिलियन भारतीय विदेश घूमने गए थे। वहीं, 11 मिलियन विदेशी भारत में आए थे। इस तरह बीते दो साल में अंतरराष्ट्रीय उड़ान बंद होने से करीब 60 से 65 बिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा है। बीते दो साल में कोरोना और लॉकडाउन के चलते इस इंडस्ट्री में काम करने वाले 25 लाख लोगों की नौकरी खत्म हो चुकी है। अंतरराष्ट्रीय उड़ान नहीं शुरू करने से 10 लाख और लोगों की नौकरी पर खतरा मडरा रहा है। उन्होंने कहा कि जब रेस्टोरेंट, सिनेमा हॉल, मेट्रो, मॉल आदि को पूरी तरह से खोल दिया गया है तो फिर रेगुलर अंतरराष्ट्रीय उड़ान खोलने में क्या दिक्कत है। सरकार को इस गंभीर मुद्दे पर जल्द से जल्द फैसला लेना चाहिए।
कंपनियां गलत फायदा उठा रहीं
एक एविएशन कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी ने अपनी पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि भारत में अंतरराष्ट्रीय उड़ान बंद होने का गलत फायदा विदेशी विमानन कंपनियां उठा रही हैं। वो भारत में अधिकांश कर्मचारियों को निकाल चुकी हैं या अनपेड कर चुकी हैं। वहीं, एयर बबल समझौतों के तहत उनकी उड़ाने भारत आ रही हैं। इससे नुकसान कंपनियों को कम लेकिन कर्मचारियों को ज्यादा उठाना पड़ रहा है। सरकार को इस सेक्टर में काम करने वाले लाखों लोगों के बारे में सोचने की जरूरत है।
कई देशों ने विदेशी यात्रियों के लिए खोला
कोरोना का असर खत्म होता देख दुनिया के कई देशों ने विदेशी यात्रियों के लिए खोल दिए हैं। इनमें अमेरिका, अस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, बाली, मलेशिया जैसे देश शामिल हैं। ऐसे में अब भारत में विदेशी यात्रियों के लिए खोलने की मांग हो रही है। हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू की जाए।
एक साल में करीब 25 हजार करोड़ का नुकसान
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अनुसार,भारतीय एयरलाइंस और हवाई अड्डों को वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान कोविड-19 महामारी के कारण करीब 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। वहीं, हवाई अड्डों का संचालन करने वाली कंपनियों को भी पांच हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा। आपको बता दें कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से पिछले साल मार्च से ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानें स्थगित हैं। भारत से करीब 31 देशों के साथ एयर बबल समझौतों के तहत पिछले साल जुलाई से विशेष अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानों का संचालन किया जा रहा है। भारत ने इन देशों से उड़ानों के लिए औपचारिक द्विपक्षीय समझौता किया है।