साल 2024 में भारतीय रियल एस्टेट मार्केट में संस्थागत निवेश 61 प्रतिशत बढ़कर 6.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, लेकिन साल 2025 में इस निवेश के तहत फंड जुटाना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। रियल एस्टेट कंसल्टेंट वेस्टियन ने बुधवार को यह बात कही। वेस्टियन के मुताबिक, वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण 2025 में धन आकर्षित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, रियल एस्टेट कंसल्टेंट वेस्टियन ने एक बयान में कहा कि 2023 में संस्थागत निवेश 4.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी और मुद्रास्फीति बनेंगे बड़ी वजह
खबर के मुताबिक, वेस्टियन के सीईओ श्रीनिवास राव ने कहा कि धीमी शुरुआत के बावजूद, रियल एस्टेट क्षेत्र को 2024 में महत्वपूर्ण संस्थागत निवेश हासिल हुआ, जो महामारी से पहले के लेवल को पार कर गया। हालांकि, राव ने कहा कि भू-राजनीतिक घर्षण बढ़ने, वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी और मुद्रास्फीति के उच्च स्तर के चलते 2025 चुनौतीपूर्ण होने की उम्मीद है। कुल संस्थागत निवेशों में से, आवासीय क्षेत्र ने 2 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की सूचना दी, जो 30 प्रतिशत हिस्सा है।
विदेशी निवेशकों ने कुल निवेश का 54 प्रतिशत लगाया
साल 2024 में आवास क्षेत्र में निवेश पिछले वर्ष की तुलना में 171 प्रतिशत बढ़ा। कॉमर्शियल संपत्ति, जिसमें कार्यालय, खुदरा, सह-कार्य और आतिथ्य परियोजनाएं शामिल हैं, को कुल संस्थागत निवेश का 35 प्रतिशत हासिल हुआ, जबकि औद्योगिक और वेयरहाउसिंग पार्कों को 28 प्रतिशत हासिल हुआ। विदेशी निवेशकों ने कुल निवेश का 54 प्रतिशत लगाया, जबकि घरेलू फंड ने 30 प्रतिशत और बाकी 16 प्रतिशत सह-निवेश था।
रेपो दर कम होने पर मिल सकता है बढ़ावा
दिलचस्प बात यह है कि साल 2024 में सह-निवेश में तेजी आई, क्योंकि विदेशी निवेशकों ने मौजूदा व्यापक आर्थिक अनिश्चितता के बीच घरेलू निवेशकों की स्थानीय विशेषज्ञता पर भरोसा किया। राव ने कहा कि अगर आरबीआई 2025 में रेपो दर कम करता है, तो भारतीय रियल एस्टेट में संस्थागत निवेश को बढ़ावा मिल सकता है। उन्होंने कहा कि कम मोर्गेज रेट के कारण रियल एस्टेट गतिविधियों में वृद्धि निवेशकों को आकर्षित कर सकती है। अमेरिका स्थित वेस्टियन वैश्विक स्तर पर अग्रणी रियल एस्टेट सलाहकारों में से एक है। वेस्टियन के कार्यालय अमेरिका, भारत, चीन, ब्रिटेन, श्रीलंका और मध्य पूर्व में हैं।