Highlights
- कच्चे तेल के दाम में नरमी से स्थिति बेहतर होने की उम्मीद है
- खुदरा मुद्रास्फीति के ताजा आंकड़ों के अनुसार जुलाई में यह 6.7 प्रतिशत रही है
- सितंबर के अंत तक महंगाई की स्थिति अभी के मुकाबले बेहतर होगी
महंगाई की आंच अब हर किसी को झुलसाने लगी है। गरीबों के लिए पेट की आग शांत करने और अमीरों के लिए ग्रोथ की भूक को जगाने के लिए महंगाई का कम होना बहुत ही जरूरी है। रिजर्व बैंक भी 2023 की शुरुआत से पहले महंगाई की मार जारी रहने की भविष्यवाणी कर चुका है। इस बीच भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन दिनेश खारा ने एक राहत की उम्मीद जरूर जगाई है।
सितंबर अंत तक स्थिति बेहतर!
खारा ने मंगलवार को कहा कि सितंबर अंत तक महंगाई के मोर्चे पर स्थिति बेहतर हो सकती है। उन्होंने कहा कि आपूर्ति के स्तर पर जो बाधाएं थीं, उनका समाधान हुआ है तथा कच्चे तेल के दाम में नरमी से स्थिति बेहतर होने की उम्मीद है। खारा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘खुदरा मुद्रास्फीति के ताजा आंकड़ों के अनुसार जुलाई में यह 6.7 प्रतिशत रही है। आने वाले समय में स्थिति बेहतर होनी चाहिए। इसका कारण आपूर्ति संबंधी बाधाओं का समाधान होना है।’’
कच्चे तेल में नरमी से घटेगी महंगाई
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति का एक प्रमुख कारण कच्चे तेल के दाम हैं और अब इसमें भी कमी आ रही है। इससे महंगाई और नीचे आएगी। उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर उम्मीद है कि संभवतर: सितंबर के अंत तक महंगाई की स्थिति अभी के मुकाबले बेहतर होगी।’’
घटेंगी ब्याज दरें?
एसबीआई चेयरमैन ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि रिजर्व बैंक के नीतिगत दर के निर्धारण में मुद्रास्फीति प्रमुख तत्व है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) नीतिगत दर के बारे में निर्णय करती है। समिति निर्णय पर पहुंचने से पहले विभिन्न आंकड़ों और वस्तुस्थिति पर गौर करती है। खारा ने कहा, ‘‘इसीलिए मुझे लगता है कि हमें एमपीसी की अगली बैठक तक इंतजार करना होगा।’’