Tuesday, November 19, 2024
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खुदरा महंगाई नवंबर में हुई तेज, 5.50% के साथ तीन महीने के टॉप लेवल पर, कैसी रही खाद्य महंगाई?

खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर नवंबर महीने में बढ़कर 8.7 प्रतिशत रही जो अक्टूबर में 6.61 प्रतिशत और पिछले साल नवंबर में 4.67 प्रतिशत थी।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: December 12, 2023 19:02 IST
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में 4.87 प्रतिशत पर थी।- India TV Paisa
Photo:FILE उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में 4.87 प्रतिशत पर थी।

खुदरा महंगाई ने फिर अपना सिर उठा लिया है। बीते नवंबर महीने में देश की खुदरा महंगाई के आंकड़े इसको दर्शा रहे हैं। खाद्य वस्तुओं के दाम में तेजी से खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में बढ़कर तीन महीने के टॉप लेवल 5.55 प्रतिशत पर पहुंच गई। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने मंगलवार को खुदरा महंगाई से जुड़े आंकड़े जारी किये हैं। बता दें, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में 4.87 प्रतिशत पर थी।

खाद्य वस्तुओं की महंगाई ने लगा दी छलांग

खबर के मुताबिक, महंगाई दर में बीते अगस्त से गिरावट का रुख देखा गया है। तब यह 6.83 प्रतिशत थी। इसी तरह, पिछले साल इसी महीने में खुदरा मुद्रास्फीति 5.88 प्रतिशत के लेवल पर थी। भाषा की खबर के मुताबिक, आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर नवंबर महीने में बढ़कर 8.7 प्रतिशत रही जो अक्टूबर में 6.61 प्रतिशत और पिछले साल नवंबर में 4.67 प्रतिशत थी।

आरबीआई के लिए है चुनौती

महंगाई दर के लेटेस्ट आंकड़े भारतीय रिजर्व बैंक के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। आरबीआई मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है। उसे दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ इसे चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। आरबीआई ने पिछले सप्ताह मौद्रिक नीति समीक्षा में उपभोक्ता मुद्रास्फीति के चालू वित्त वर्ष में 5.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया है। इससे पहले बीते सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि खुदरा मुद्रास्फीति अब स्थिर है। कुछ मौकों पर महंगाई दर में अस्थायी बढ़ोतरी ग्लोबल असर और विपरीत मौसम की स्थिति के चलते पैदा हुई डिमांड-सप्लाई की विसंगतियों के चलते होती है।

उन्होंने कहा कि भारत की खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल-अक्टूबर 2022 में औसतन 7.1 प्रतिशत से घटकर 2023 की इसी अवधि में 5.4 प्रतिशत हो गई है। खुदरा मुद्रास्फीति अब स्थिर है और यह 2 प्रतिशत से 6 प्रतिशत के बीच के अधिसूचित मानक के भीतर है।

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