भारत की जनता के लिए आज एक अच्छी खबर आई है। देश में अब महंगाई पिछले 18 महीने के न्यूनतम स्तर पर चली गई है। एक्सपर्ट का कहना है कि इसका फायदा आम जनता को नहीं मिलेगा। आइए जानते हैं कि ऐसा कहने के पीछे का क्या कारण है?
आम जनता को नहीं मिलेगा फायदा
दुनिया में बढ़ती महंगाई के बीच भारत के लिए अच्छी खबर है। भारत की थोक मूल्य महंगाई (डब्ल्यूपीआई) अक्टूबर में मार्च 2021 के बाद सबसे निचले स्तर 8.39 प्रतिशत पर आ गई है, लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक, इसका लाभ आम आदमी को मिलना मुश्किल है। महंगाई में आई कमी का मुख्य कारण कमोडिटी की कीमतों में गिरावट को माना जा रहा है।
इस वजह से कम हुई महंगाई
यह भी पहली बार था कि थोक महंगाई 18 महीनों में दो अंकों के निशान से नीचे गिर गई है। मई 2022 में यह 15.88 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। अक्टूबर 2021 में यह 13.83 प्रतिशत थी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अक्टूबर 2022 में महंगाई की दर में गिरावट मुख्य रूप से खनिज तेल, मेटल, गढ़े हुए मेटल प्रोडक्ट, मशीनरी उपकरण, कपड़ा और अन्य गैर मेटलिक खनिज प्रोडक्ट की कीमतों में गिरावट के कारण आई है।
प्राथमिक वस्तुओं में महंगाई 11.04 प्रतिशत थी, जबकि अक्टूबर 2021 में खाद्य वस्तुओं की महंगाई 0.06 प्रतिशत से बढ़कर 8.33 प्रतिशत हो गई। आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केयर रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा कहती हैं कि हमारी उम्मीदों के अनुरूप थोक मूल्य सूचकांक महंगाई 18 महीने के अंतराल के बाद गिरकर एकल अंक पर आ गई। पिछले पांच महीनों में ईंधन, मेटल और रसायनों की कीमतों में महत्वपूर्ण सुधार के साथ थोक मूल्य सूचकांक महंगाई नीचे की ओर रही है।
इसलिए नहीं मिलेगा फायदा?
खुदरा स्तर पर महंगाई में नरमी की गति अपेक्षाकृत कम हो सकती है, क्योंकि वस्तुओं की कीमतों में कमी का लाभ अंतिम उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंच सकते हैं।