महंगाई से आम आदमी ही नहीं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भी परेशान है। देश का डॉलर महंगा होने के चलते देश में आयात महंगा हो रहा है, कच्चे तेल की आग थमने का नाम नहीं ले रही है। महंगाई की आग को बुझाने में रिजर्व बैंक भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा भंडार भी खर्च कर चुका है। लेकिन जिद्दी महंगाई है कि थमने का नाम नहीं ले रही है।
त्योहारों में ठंडी पड़ी महंगाई?
अब रिजर्व के गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई को लेकर एक भविष्यवाणी की है। दास ने कीमतों में वृद्धि को एक बड़ी चुनौती बताते हुए उम्मीद जताई कि अक्टूबर में मुद्रास्फीति की दर सात प्रतिशत से कम रहेगी। सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई जबकि अगस्त में यह सात प्रतिशत पर थी।
खाने पीने के सामान की महंगाई से छूटे पसीने
खाद्य और ऊर्जा उत्पादों की कीमतों में तेजी के कारण इसमें वृद्धि हुई थी। दास ने अक्टूबर माह के लिए मुद्रास्फीति की दर में कमी आने की इस उम्मीद के लिए सरकार और आरबीआई द्वारा पिछले छह-सात महीनों में उठाये गए उपायों को जिम्मेदार बताया।
नहीं बदलेगा महंगाई का सहनीय स्तर
मुद्रास्फीति को दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने के लक्ष्य में बदलाव की आवश्यकता नहीं है क्योंकि छह प्रतिशत से अधिक की महंगाई दर आर्थिक वृद्धि को प्रभावित करेगी। सरकार ने आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) को मुद्रास्फीति दर दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।
महंगाई के तूफान के बीच हम सुरक्षित
आरबीआई गवर्नर ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर कहा कि वैश्विक उथल-पुथल के बीच भारत के समग्र वृहद-आर्थिक बुनियादी पहलू मजबूत बने हुए हैं और आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं अच्छी दिख रही हैं। उन्होंने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि अक्टूबर के लिए महंगाई दर के आंकड़े सात प्रतिशत से कम होंगे। मुद्रास्फीति चिंता का विषय है जिससे हम अब प्रभावी ढंग से निपट रहे हैं।"
सोमवार को जारी होंगे महंगाई के आंकड़े
अक्टूबर महीने के मुद्रास्फीति आंकड़े सोमवार को जारी होंगे। उन्होंने कहा कि पिछले छह या सात महीनों में आरबीआई और सरकार दोनों ने ही मुद्रास्फीति को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। दास ने कहा कि आरबीआई ने अपनी ओर से ब्याज दरों में वृद्धि की है तथा सरकार ने आपूर्ति पक्ष से जुड़े कई कदम उठाए हैं।