हाल के दिनों में महंगाई डायन ने एक बार फिर सुरसा की तरह अपना मुंह फैलाया है। टमाटर की आसमान छूती कीमत के साथ तमाम खाने-पीने वाली वस्तुओं के दाम तेजी से बढ़े हैं। ऐसे में एक बार फिर से रेपो रेट बढ़ने की चिंता बढ़ गई है। यानी होम और कार लोन समेत तमाम लोन की ईएमआई का बोझ फिर से बढ़ने की आशंका है। हालांकि, इस बीच राहत की खबर आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई के मोर्चे पर चिंता के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपनी आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख ब्याज दर पर यथास्थिति बरकरार रख सकता है। एक्सपर्ट का मानना है कि आर्थिक वृद्धि की गति को बनाए रखने के लिए कर्ज लेने की लागत स्थिर बनी रहेगी।
10 अगस्त को मौद्रिका पॉलिसी की घोषणा
आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 8-10 अगस्त को होगी। गवर्नर शक्तिकांत दास नीतिगत निर्णय की घोषणा 10 अगस्त को करेंगे। आरबीआई ने ब्याज दर में बढ़ोतरी का सिलसिला पिछले साल मई में शुरू किया था, हालांकि फरवरी के बाद से रेपो दर 6.5 प्रतिशत पर बना हुआ है। इसके बाद अप्रैल और जून में दो द्विमासिक नीति समीक्षाओं में रेपो रेट में कोई फेरबदल नहीं हुआ।
ब्याज दर में नहीं होगा बदलाव
पंजाब एंड सिंध बैंक के प्रबंध निदेशक स्वरूप कुमार साहा ने कहा कि आरबीआई वैश्विक रुझानों सहित कई चीजों को ध्यान में रखता है। इसलिए, हाल में अमेरिकी फेडरल रिजर्व जैसे कई केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी को भी ध्यान में रखा जाएगा। साहा ने कहा, ''समग्र स्थितियों को देखते हुए, मेरा अनुमान है कि आरबीआई रेपो रेट को मौजूदा स्तर पर बरकरार रखेगा। अगर वैश्विक हालात स्थिर रहते हैं तो ब्याज दर में अगली 2-3 तिमाहियों तक यथास्थिति रहने की संभावना है।''
रेपो रेट में में बदलाव की संभावना नहीं
एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के प्रबंध निदेशक त्रिभुवन अधिकारी ने भी कहा कि केंद्रीय बैंक आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में यथास्थिति बनाए रखेगा। उन्होंने कहा कि निकट अवधि में ब्याज दर स्थिर रहने की संभावना है। सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि खुदरा महंगाई चार प्रतिशत पर बनी रहे, जिसमें ऊपर या नीचे की ओर दो प्रतिशत तक विचलन हो सकता है। यस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पैन ने कहा कि टमाटर सहित सब्जियों की कीमतों में महंगाई के बावूजद रेपो रेट में बदलाव की संभावना नहीं है।
खुदरा महंगाई एक बार फिर बढ़ी
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित भारत की खुदरा मुद्रास्फीति जून में बढ़कर तीन महीने के उच्चतम स्तर 4.81 प्रतिशत पर पहुंच गई, हालांकि यह आरबीआई के सहनशील स्तर छह प्रतिशत से नीचे है।