Inflation Impact: रिजर्व बैंक ने मई की शुरुआत में ही अचानक ब्याज दरों में वृद्धि कर देश के विशाल मध्यम वर्ग को चौंका दिया था। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यह कदम महंगाई को थामने के लिए उठाया था। लेकिन रिजर्व बैंक के इस कदम से महंगाई फिलहाल थमती नहीं दिख रही है।
गुरुवार को जारी महंगाई के ताजा आंकड़ों ने रही बची उम्मीद भी खत्म कर दी। सरकार के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में महंगाई दर आठ साल के उच्चतम स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक चालू वित्त वर्ष में रेपो दर में एक प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है।
महंगाई को लेकर ये है अनुमान
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने यह संभावना जताई है कि चालू वित्त वर्ष के लिए औसत उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर 6.3 प्रतिशत पर पहुंच सकती है, जो केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर छह प्रतिशत से अधिक है। रिजर्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में बढ़ती मुद्रास्फीति को नियंत्रण में करने के लिए रेपो दर को 0.4 प्रतिशत बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया था। अगस्त, 2018 के बाद पहली बार रेपो दर को बढ़ाया गया है।
1 प्रतिशत तक बढ़ेंगी ब्याज दरें
क्रिसिल ने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2022-23 में मुद्रास्फीति व्यापक हो सकती है। इससे खाद्य वस्तुओं, ईंधन और मुख्य क्षेत्रों में महंगाई बढ़ेगी। इसलिए संभावना है कि रिजर्व बैंक चालू वित्त वर्ष में रेपो दर में 0.75 से एक प्रतिशत की और बढ़ोतरी करे। ’’