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किसानों पर महंगाई की मार, खाद, बिजली और डीजल की लागत बढ़ने से खेती करने की लागत 20% बढ़ी

खाद, बिजली और डीजल की लागत को समायोजित करने पर खेती की लागत 8.9 प्रतिशत बढ़ी। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले पांच सालों में कृषि संबंधी लागत में जमीन-आमसान से अंतर आ गया है।

Edited by: Alok Kumar @alocksone
Published on: May 19, 2022 7:52 IST
Farmers - India TV Paisa
Photo:FILE

Farmers 

आसामान छूती महंगाई की मार देश के किसानों पर बहुत ज्यादा पड़ी है। बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में खेती की लागत बढ़ रही है और यह वित्त वर्ष 2020-21 के मुकाबले 2021-22 में 20 प्रतिशत बढ़ गई। खाद, बिजली और डीजल की लागत को समायोजित करने पर खेती की लागत 8.9 प्रतिशत बढ़ी। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले पांच सालों में कृषि संबंधी लागत में जमीन-आमसान से अंतर आ गया है। किसान सामान्यत: जिन कृषि यंत्रों का इस्तेमाल करते हैं उनमें सबसे प्रमुख ट्रैक्टर है जो पांच साल में 50 प्रतिशत से अधिक महंगा हो चुका है। इसके साथ ही डीजल, खाद, बीज,मजदूरी आदि की लगात बढ़ने से खेती करने की लागत तेजी से बढ़ी है। उस अनुपात में फसलों के मूल्य में बढ़ोतरी नहीं हुई है। 

कृषि लागत बढ़ने से ग्रामीण मांग घटी

बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज की रिपोर्ट  के मुताबिक, सामान्य मानसून की उम्मीद और खाद्य कीमतों में तेजी के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में ग्रामीण आय बेहतर रहेगी, लेकिन इसके बावजूद मजदूरी और कृषि लागत में तेजी से बढ़ोतरी के कारण ग्रामीण मांग में कमी आ सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, खरीफ फसल आय के वित्त वर्ष 2022-23 में 10.1 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है, जो 2021-22 में 9.5 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। दूसरी ओर शुद्ध रबी आय के 12 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है, जो पिछले साल तीन प्रतिशत बढ़ी थी। बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज ने बुधवार को एक रिपोर्ट में कहा कि हालांकि, खेती की लागत बढ़ रही है और यह वित्त वर्ष 2020-21 के मुकाबले 2021-22 में 20 प्रतिशत बढ़ गई। 

सबसे ज्यादा खाद और डीजल से बढ़ा बोझ 

खाद, बिजली और डीजल की लागत को समायोजित करने पर खेती की लागत 8.9 प्रतिशत बढ़ी। मौसम विभाग का अनुमान है कि 2022 का दक्षिण-पश्चिम मानसून दीर्घकालिक औसत के 99 प्रतिशत पर सामान्य रहेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि आय में खेती के अलावा वानिकी, पशुधन, मत्स्यपालन आदि का महत्व बढ़ गया है। इस वजह से कृषि आय बढ़ी है। हालांकि, रिपोर्ट में चेतावनी दी गई कि बढ़ी हुई कीमतों से आय में इजाफा होगा, लेकिन खेती की बढ़ती लागत ग्रामीण मांग को कम कर देगी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि खेती की बढ़ती लागत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने की एक वाजिब वजह है। 

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