देश में आने वाले कुछ महीनों में महंगाई (Inflation) ऊंची रह सकती है. हालांकि सरकार की नई पॉलिसी इसे और बढ़ने से रोकेंगी.एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) ने एक लेटेस्ट पूर्वानुमान में यह बात कही है. भाषा की खबर के मुताबिक, रेटिंग्स के अर्थशास्त्री (एशिया प्रशांत) विश्रुत राणा ने मंगलवार को कहा कि विशिष्ट खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में 15 महीने के उच्चस्तर 7.44 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।
भारत में मॉनसून बहुत कमजोर रहा
खबर के मुताबिक ‘मंथली एशिया-पैसिफिक क्रेडिट फोकस' वेबिनार में राणा ने कहा कि भारत में मॉनसून बहुत कमजोर रहा और बारिश सामान्य से करीब 11 प्रतिशत कम दर्ज की गई। उन्होंने कहा कि यह बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि यह अगले कुछ महीनों में भारत में अनाज की कीमतों (Inflation forecast for india) को प्रभावित कर सकता है। फेस्टिवल सीजन से पहले लोकल मार्केट में पर्याप्त भंडार उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने पहले ही चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है और प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया है।
गेहूं-चावल की कीमतों को रोकने के हो सकते हैं उपाय
राणा ने कहा कि सप्लाई बहुत मजबूत बनी हुई है और सरकार जिंस,गेहूं और चावल की कीमतों में तेजी को रोकने के लिए कदम उठा सकती है। इससे खाद्य मुद्रास्फीति (Inflation) को थोड़ा कम रखने में मदद मिलेगी। टमाटर की कीमतें जो जुलाई में आसमान छू गई थीं, अगस्त के आखिर में कम होनी शुरू हो गईं। राणा ने कहा कि सब्जियों की बढ़ती कीमतें भी अब कम हो रही हैं। कुल मिलाकर भारत के लिए महंगाई का माहौल ऊर्जा की कीमतों पर निर्भर करेगा।
ज्यादा बढ़ने की आशंका नहीं
खाद्य कीमतें अधिक बनी रहेंगी लेकिन सार्वजनिक नीतियों के चलते इनके ज्यादा बढ़ने की आशंका नहीं है। हमें उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में भारत के लिए समग्र मुद्रास्फीति (Inflation forecast for india) ऊंची बनी रहेगी लेकिन यह इससे ज्यादा नहीं बढ़ेगी। वित्त मंत्रालय ने पिछले महीने अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा था कि खाद्य पदार्थों पर कीमत का दबाव अस्थायी रहने की उम्मीद है, लेकिन सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को बढ़े हुए मुद्रास्फीति दबाव से निपटने के लिए सतर्कता बढ़ाने की जरूरत है।