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महंगाई घटी लेकिन लोन की बढ़ी EMI से जल्द नहीं मिलेगी राहत, इस कारण बढ़ेगा इंतजार

मार्च में ओवरऑल महंगाई घटकर 4.85 प्रतिशत पर आ गई जबकि कोर मुद्रास्फीति घटकर 3.3 प्रतिशत पर रही।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: April 16, 2024 8:13 IST
Loan EMI - India TV Paisa
Photo:FILE लोन की ईएमआई

होम, कार लोन समेत तमात तरह के लोन लिए लोग लंबे समय से अपनी ईएमआई कम होने का इंतजार कर रहे हैं। उनके लिए यह बुरी खबर है। अभी जल्द उनके ईएमआई का बोझ कम नहीं होने वाला है। दरअसल, मार्च में खुदरा महंगाई घटकर दस महीने के निचले स्तर 4.85 प्रतिशत पर आ गई। इससे पहले फरवरी में खुदरा महंगाई 5.09 प्रतिशत और जनवरी में 5.1 प्रतिशत थी। इसके बावजूद Home-Car लोन की EMI चुका रहे लोगों को जल्द राहत मिलने वाली नहीं है। बैंकिंग एक्सपर्ट का कहना है कि भू-राजनैतिक तनाव, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी समेत बढ़ते वैश्विक जोखिमों के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) नीतिगत दरों में कटौती में देरी कर सकता है।

साल के अंत में ही राहत की उम्मीद 

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने कहा कि हम मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में दरों में आधा फीसदी की कटौती की अपनी अपील पर कायम हैं। इसके बावजूद हमें लगता है कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के दरों में कटौती के चक्र में देरी और ऊंची खाद्य मुद्रास्फीति के कारण आरबीआई की दरों में कटौती में और देरी हो सकती है। ब्रोकरेज कंपनी ने कहा कि निकट भविष्य में बढ़ती महंगाई के कारण खाद्य महंगाई में तेजी, भू-राजनैतिक जोखिमों और ओपेक प्लस देशों के आपूर्ति में कटौती करने से कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और गैर-ऊर्जा वस्तुओं की ऊंची कीमतों के कारण वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में औसत खुदरा महंगाई के पांच प्रतिशत से ऊपर रहने का जोखिम है। जैसा कि आरबीआई गवर्नर ने भी कहा है, ये जोखिम मुद्रास्फीति कम करने के अंतिम पड़ाव पर चुनौती बन सकते हैं।"

महंगाई में धीरे-धीरे नरमी की उम्मीद 

ब्रोकरेज ने कहा कि हम ओवरऑल मुद्रास्फीति में केवल धीरे-धीरे नरमी की उम्मीद करते हैं। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक रिपोर्ट में कहा है कि मुद्रास्फीति और आईआईपी डेटा उम्मीदों के अनुरूप थे, जिसका मौद्रिक राजकोषीय नीति पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा। ब्रोकरेज कंपनी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि अगले साल खुदरा महंगाई दर औसतन 4.5 प्रतिशत रहेगी। हमारे विचार में, दर में कटौती केवल वित्त वर्ष 2024-25 के अंत में हो सकती है।

इनपुट: आईएएनएस

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