देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस कंपनी इंडिगो के नाम एक बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है। इंडिगो (Indigo Airlines) की पैरेंट कंपनी इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड का मार्केट कैपिटलाइजेशन यानि बाजार पूंजीकरण 28 जून को 1 लाख करोड़ रुपए को पार कर गया। यह उपलब्धि इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह आंकड़ा पार करने वाली इंडिगो देश की पहली एयरलाइंस कंपनी है।
भारतीय शेयर बाजार के सूचकांक बीएसई के आंकड़ों के अनुसार बुधवार को इंडिगो का शेयर 2619.85 रुपए पर बंद हुआ। बुधवार को कंपनी के शेयरों में 3.55 प्रतिशत की तेजी देखने को मिली। इसके साथ ही कंपनी का मार्केट कैप बढ़कर 1,01,007.56 करोड़ रुपए हो गया है।
इसी महीने दिया है 500 एयरक्राफ्ट का ऑर्डर
देश के एविएशन बाजार में करीब 61 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाली इंडिगो एयरलाइंस भविष्य में बड़े विस्तार की तैयारी कर रही है। इसके लिए कंपनी ने हाल ही में 500 एयरबस ए320 एयरक्राफ्ट का ऑर्डर दिया था। इसके साथ ही इंडिगो एक बार में इतना बड़ा ऑर्डर देने वाली पहली भारतीय एयरलाइन बन गई है। इन विमानों को खरीदने के लिए इंडिगो 50 अरब डॉलर यानी 4.09 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी। इंडिगो से पहले एअर इंडिया ने 470 विमानों का ऑर्डर देकर बाजार में खलबली मचा दी थी। इंडिगो को इन एयरक्राफ्ट्स की डिलीवरी 2030 से 2035 के बीच होने की उम्मीद है।
इंडिगो के पास 61 प्रतिशत हिस्सेदारी
भारतीय एविएशन बाजार से जेट की छुट्टी के बाद पूरे बाजार पर लगभग इंडिगो का कब्जा हो गया है। मौजूदा आंकड़ों के अनुसार घरेलू विमानन बाजार में इंडिगो की हिस्सेदारी 61 प्रतिशत है। वर्तमान में इंडिगो 26 अंतरराष्ट्रीय मार्गों के लिए सेवाएं प्रदान करती है। इस समय दुनिया भर के 75 देशों में इंडिगो की सेवाएं हैं। फिलहाल इंडिगो के पास 300 से ज्यादा विमान हैं। एयरलाइन रोजाना 1800 से ज्यादा उड़ानों के जरिए देश के 78 शहरों को जोड़ती है।
मार्केट कैप क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के कुल आउटस्टैंडिंग शेयरों की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके किया जाता है। मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी के जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।