भारत के प्रमुख और सबसे बड़े तेल क्षेत्र मुंबई हाई की खोज 50 साल पहले आज के दिन हुई थी। इसके साथ शुरू होने वाले ज्यादातर क्षेत्रों से आज की तारीख में उत्पादन बंद हो चुका है,लेकिन अरब सागर में स्थित मुंबई हाई के इरादे अभी भी बुलंद हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) ने इस क्षेत्र की स्वर्ण जयंती मनाने के लिए मुंबई में एक समारोह का आयोजन किया। कंपनी ने कहा, ‘‘पिछले 50 वर्षों में मुंबई हाई ने 52.7 करोड़ बैरल तेल और 221 अरब घनमीटर गैस का उत्पादन किया है, जो अबतक देश के घरेलू उत्पादन का लगभग 70 प्रतिशत है।''
अरब सागर में 160 किमी दूर है यह तेल भंडार
मुंबई हाई फील्ड (पहले बॉम्बे हाई फील्ड) भारत के पश्चिमी तट से अरब सागर में लगभग 160 किलोमीटर दूर स्थित है। इसकी खोज फरवरी 1974 में रूसी और भारतीय टीम ने की थी। इस क्षेत्र में 21 मई, 1976 को उत्पादन शुरू हुआ था। शुरुआत में प्रतिदिन 3,500 बैरल तेल का उत्पादन होता था और तीन साल के भीतर यह 80,000 बैरल प्रतिदिन तक पहुंच गया। क्षेत्र से तेल को मुंबई की रिफाइनरियों तक ले जाने के लिए 1978 में एक उप-समुद्री पाइपलाइन बिछाई गई थी। उससे पहले तक कच्चा तेल टैंकरों में भेजा जाता था।
उत्पादन में आई गिरावट
इसके बाद 1989 में इस क्षेत्र से तेल उत्पादन बढ़कर 4,76,000 बैरल प्रतिदिन और 28 अरब घनमीटर गैस प्रतिदिन तक पहुंच गया। उसके बाद से उत्पादन में धीरे-धीरे गिरावट देखी जा रही है। इस समय मुंबई हाई से प्रति दिन लगभग 1,35,000 बैरल तेल और 13 अरब घनमीटर गैस का उत्पादन हो रहा है। तेल और गैस उत्पादन में गिरावट के कारण पुनर्विकास योजनाएं शुरू की गईं। पिछले कुछ वर्षों में मुंबई हाई के पास चार पुनर्विकास योजनाएं हैं, जिनमें अरबों डॉलर का निवेश किया गया है।
अब भी है भंडार
इस क्षेत्र में अब भी भंडार है, जिससे कुछ और वर्षों तक उत्पादन जारी रखा जा सकता है। स्वर्ण जयंती समारोह में पश्चिमी अपतटीय क्षेत्रों से जुड़े पूर्व चेयरमैन और निदेशकों को सम्मानित किया गया। इसमें पूर्व चेयरमैन आर एस शर्मा और डी के सर्राफ शामिल हैं। कंपनी ने एक बयान में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी के हवाले से कहा कि मुंबई हाई का 50 साल का सफलतापूर्वक पूरा होना एक असाधारण और गौरवशाली यात्रा का प्रतीक है।