अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के मूल्य में गिरावट से भारत का आयात बिल करीब 15 अरब डॉलर बढ़ सकता है। थिंक टैंक जीटीआरआई ने गुरुवार को यह बात कही। पीटीआई की खबर के मुताबिक, ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि पिछले साल दिसंबर की तुलना में भारतीय रुपये (आईएनआर) में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 2.34 फीसदी की गिरावट आई है, जो 83.25 रुपये से बढ़कर 85.20 रुपये हो गया है, जबकि चीनी युआन में 0.06 प्रतिशत की कमजोरी आई है।
सोने के आयात को असर डालेगा कमजोर रुपया
खबर के मुताबिक, रुपये के मूल्य में यह गिरावट सोने के आयात को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी। सोने की कीमतें दिसंबर 2023 में 2,066.26 डॉलर प्रति औंस से 27 फीसदी बढ़कर 2,617 डॉलर हो गई हैं। दिसंबर 2024 में 11 डॉलर प्रति औंस हो जाएगा। भारत का तेल आयात, जिसकी कीमत ज्यादातर डॉलर में होती है, रुपये के मूल्यह्रास के चलते काफी महंगा हो सकता था, हालांकि, ब्रेंट क्रूड की कीमतों में 5 प्रतिशत की गिरावट से इसका असर कम हो गया है, जो दिसंबर 2023 में 77 डॉलर प्रति बैरल से 73 डॉलर प्रति बैरल हो गया है।
व्यापार संतुलन और भी खराब हो गया
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि रुपये के मूल्यह्रास के प्रभाव के चलते भारत का कुल आयात बिल लगभग 15 अरब डॉलर बढ़ जाएगा। रुपये के मूल्यह्रास का सबसे ज्यादा असर चीन से भारत के 100 अरब डॉलर मूल्य के औद्योगिक सामान के आयात पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि चूंकि रुपये और युआन दोनों ही अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हुए हैं, इसलिए दोहरे मूल्यह्रास ने इन आयातों की लागत को बढ़ा दिया है, जिससे व्यापार संतुलन और भी खराब हो गया है।