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एक नियम बदला तो भारतीय रेल ने कमाए ₹2,800 करोड़, जानें क्या हुआ था बदलाव

रेलवे को नियमों में किए संशोधन से अकेले 2022-23 में 560 करोड़ रुपये की कमाई हुई। बदला नियम 21 अप्रैल, 2016 से लागू किया गया था।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: September 20, 2023 6:50 IST
भारतीय रेल- India TV Paisa
Photo:REUTERS भारतीय रेल

बच्चों के ट्रेन में सफर से जुड़े एक नियम में भारतीय रेल (Indian Railways) बदलाव से पिछले सात साल में 2800 करोड़ रुपये एक्स्ट्रा कमा लिए हैं। नियमों में किए संशोधन (child travel rules change in railway) से रेलवे को अकेले 2022-23 में 560 करोड़ रुपये की कमाई हुई। यह खुलासा एक आरटीआई से मिली जानकारी के तहत हुई है। आईएएनएस की खबर के मुताबिक, सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत सेंटर फॉर रेलवे इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स (सीआरआईएस) से मिले एक जवाब से यह पता चला है।  

क्या बदला था नियम

खबर के मुताबिक, भारतीय रेल के लिए इस तरह सबसे ज्यादा बेनिफिट वाला साल बन गया। रेल मंत्रालय के तहत आने वाला सीआरआईएस टिकट और यात्रियों, माल ढुलाई सेवाओं, रेल यातायात नियंत्रण और ऑपरेशन जैसे मुख्य क्षेत्रों में आईटी सॉल्यूशन उपलब्ध कराता है। आपको बता दें, रेल मंत्रालय ने 31 मार्च, 2016 को अनाउंस (Railways child travel rules)किया था कि वे पांच साल और 12 साल के बीच उम्र वाले बच्चों जिन्हें रिजर्व कोच में अलग बर्थ या सीट चाहिए, के लिए पूरा किराया वसूल करेगा। रेलव ने इस बदले नियम को 21 अप्रैल, 2016 से लागू कर दिया था।

पहले क्या थे नियम

21 अप्रैल, 2016 से पहले भारतीय रेल (Indian Railways) पांच से 12 साल के बच्चों के लिए आधा किराया लेकर उन्हें बर्थ देता था। एक दूसरा ऑप्शन भी होता था कि अगर बच्चा अलग बर्थ न लेकर साथ यात्रा कर रहे एडल्ट के बर्थ पर ही सफर करता है, तो भी उसके लिए आधा किराया देना होगा। आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में सीआरआईएस ने बच्चों की दो कैटेगरी के किराया ऑप्शन के आधार पर वित्त वर्ष 2016-17 से 2022-23 तक के आंकड़े दिए हैं। बीते सात सालों में 3.6 करोड़ से ज्यादा बच्चों ने रिजर्व सीट या बर्थ का ऑप्शन चुने बिना आधा किराया देकर सफर किया। 

दूसरी तरफ, 10 करोड़ से ज्यादा बच्चों ने अलग बर्थ या सीट लेकर पूरा किराया चुकाया। जवाब से यह भी पता चलता है कि रेलवे (Indian Railways)से यात्रा करने वाले कुल बच्चों में लगभग 70 प्रतिशत बच्चे पूरा किराया देकर बर्थ या सीट लेना पसंद करते हैं।

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