Indian Railway Special Train: कश्मीर घाटी में अगले साल से देश की प्रीमियम ट्रेन 'वंदे भारत' चलेगी। केंद्रशासित प्रदेश के लिए विशेष रूप से डिजाइन की गई 'वंदे भारत' ट्रेन तैयार की जा रही हैं। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव शनिवार को जम्मू और कश्मीर के दौरे पर हैं। केंद्रशासित प्रदेश को लेकर उन्होंने कहा कि प्रदेश में विशेष रूप से डिजाइन की गई 'वंदे भारत' ट्रेन तैयार की जा रही है। इस विशेष ट्रेन के निर्माण के क्रम में तापमान, बर्फ जैसी हर चीज को ध्यान में रखा जा रहा है। दरअसल जम्मू को श्रीनगर से जोड़ने वाली उधमपुर बनिहाल लाइन इस साल दिसंबर या अगले साल की शुरूआत तक पूरी हो जाएगी। केंद्रीय रेल मंत्री ने कहा कि उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लाइन पर अच्छी प्रगति हुई है। चिनाब और अंजी पुलों और प्रमुख सुरंगों के निर्माण के लिए भी काम चल रहा है और अच्छी प्रगति हो रही है। इस साल दिसंबर या अगले साल जनवरी-फरवरी में इस मार्ग पर ट्रेन चलने लगेगी। इस लाइन के लिए विशेष रूप से डिजाइन की गई 'वंदे भारत' ट्रेन तैयार की जा रही है।
रेल मंत्री करेंगे पीएम मोदी से चर्चा
रेल मंत्री ने कहा कि तीन क्षेत्रों सोपोर कुपवाड़ा, अवंतीपुरा-शोपियां और बिजबेहरा-पहलगाम को भी रेल लाइन से जोड़ने की मांग हुई है और रेलवे इस पर विचार करेगा। हम जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल से बात करेंगे। फिर केंद्रीय गृह मंत्री (अमित शाह) और प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) के साथ इस संबंध में चर्चा करेंगे। बारामूला में लाइनों के दोहरीकरण पर हम विस्तृत चर्चा करेंगे। इस लाइन में तीन कनेक्शन और जोड़े जाने हैं। इस लाइन पर कई काम पूरे हो चुके हैं। विद्युतीकरण का काम लगभग पूरा हो चुका है। लाइन को एलओसी तक बढ़ाने पर भी एलजी से चर्चा होगी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अपने इस दौरे पर रेलवे के अधिकारियों के साथ बडगाम स्टेशन से बारामूला तक ट्रेन से यात्रा की। इन दो दिनों में रेलमंत्री कश्मीर में रेलवे परियोजनाओं का निरीक्षण करेंगे।
ये है इतिहास
बता दें, साल 1905 में कश्मीर के तत्कालीन महाराजा ने मुगल रोड के रास्ते से श्रीनगर को जम्मू से जोड़ने वाली रेलवे लाइन बिछाने की घोषणा की थी। शुरूआती काम के बाद परियोजना का काम अटक गया। उसके बाद एक बार फिर मार्च 1995 में 2500 करोड़ रुपए की लागत से काम शुरू किया गया और फिर था साल 2002 में वाजपेयी सरकार ने इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया, तब इसकी लागत 6000 करोड़ रुपए हो गई। हालांकि आज इस परियोजना की लागत 27,949 करोड़ रुपए हो चुकी है। लाइन बिछाने का काम भौगोलिक समस्याओं से भरा हुआ था। इन सबसे पार पाते हुए अब यह नेटवर्क तैयार होने की तरफ पहुंच गया है। ये प्रोजेक्ट 20 वर्षों की देरी से चल रही है।