Indian Railway News: भारतीय रेलवे अपने आप को अपडेट करने और एडवांस टेक्नोलॉजी के साथ जोड़ने के प्रयास में लगा हुआ है। इसके लिए वह तरह-तरह की फैसिलिटी देश के सभी राज्यों में शुरू कर रहा है, जिसमें वंदे भारत जैसी ट्रेनों का संचालन शुरू करना हो या पहले से चली आ रही नॉन-इलेक्ट्रिक रेल लाइन को इलेक्ट्रिक रेल लाइन में बदलना हो। कई साल के लंबे इंतजार के बाद मेघालय को अब जाकर पहली बार इलेक्ट्रिक ट्रेन की सुविधा मिली है। रेलवे ने अभयपुरी-पंचरत्न के बीच इलेक्ट्रिफिकेशन का काम पूरा लिया है। इसके बाद पूर्वोत्तर भारत में ट्रेनों की गति में सुधार होने की उम्मीद है। भारतीय रेलवे ने शुक्रवार को कहा कि पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने दुधनाई-मेंदीपाथर (22.823 ट्रैक किलोमीटर) सिंगल लाइन सेक्शन और अभयपुरी-पंचरत्न (34.59 ट्रैक) चालू करके एक और उपलब्धि हासिल की है। जानकारी के अनुसार डबल लाइन सेक्शन 15 मार्च को शुरू की।
पीएम मोदी ने किया था उद्घाटन
रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन के लिए केंद्रीय संगठन (कोर) ने इन खंडों में इलेक्ट्रिफिकेशन कार्य किया है। मेंदीपाथर उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय का एकमात्र रेलवे स्टेशन है जो प्रधानमंत्री मोदी के उद्घाटन किए जाने के बाद 2014 से परिचालन में है। इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन चालू होने के बाद इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव द्वारा खींची जाने वाली ट्रेनें अब मेघालय के मेंदीपाथर से सीधे संचालित हो सकेंगी, जिससे पूर्वोत्तर की औसत गति में वृद्धि होगी। साथ ही इससे और अधिक यात्री व माल ढुलाई वाली ट्रेनों के संचालन में भी बदलाव देखने को मिलेगा। रेलवे के अनुसार, अब दूसरे राज्यों से इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव द्वारा खींची जाने वाली पार्सल और माल ढुलाई वाली ट्रेनें सीधे मेघालय पहुंच सकेंगी।
3 फरवरी को भारत में शुरू हुई थी पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन
रेलवे के अनुसार, इलेक्ट्रिफिकेशन से पूर्वोत्तर भारत में ट्रेनों की गतिशीलता में काफी सुधार होगा। जीवाश्म ईंधन से बिजली की ओर जाने से होने वाले प्रदूषण में कमी के अलावा इस क्षेत्र में रेलवे प्रणाली की दक्षता में भी सुधार होगा। इससे निर्बाध यातायात की सुविधा होगी और कीमती विदेशी मुद्रा की बचत के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों से आने-जाने वाली ट्रेनों के समय की भी बचत होगी। बता दें कि रेल मंत्रालय ने 2030 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के साथ अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने का लक्ष्य रखा है। भारत में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन 3 फरवरी 1925 को बॉम्बे वीटी (अब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, मुंबई) और कुर्ला हार्बर के बीच चली थी। ट्रेन को 1500 वोल्ट डीसी (डायरेक्ट करंट) पर विद्युतीकृत किया गया था। देश आजाद होने से पहले भारत में 388 किलोमीटर डीसी इलेक्ट्रिफिकेशन था। इसके बाद मार्च 2022 तक भारतीय रेलवे ने कुल ब्रॉड-गेज नेटवर्क (65,141 आरकेएम,) का लगभग 45,881(80.20 प्रतिशत) रूट किलोमीटर (आरकेएम) इलेक्ट्रिफिकेशन का कार्य पूरा कर लिया था।
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