Highlights
- सरकार प्रौद्योगिकी के विकास के लिए नियामकीय ढांचे में आमूलचूल बदलाव की तैयारी कर रही है
- केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने टीडीसैट की संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया
- 'अब 35 भारतीय दूरसंचार कंपनियां अपने उत्पादों को विदेशी बाजारों में निर्यात करने की तैयारी में हैं'
नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार प्रौद्योगिकी (Technology) के विकास के लिए लगातार काम रही है। दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को 5G और 6G को लेकर बड़ी बात कही है। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को TRAI अधिनियम, 1997 के 25वें वर्ष पर TCSAT संगोष्ठी के उद्घाटन में भाग लिया। इस दौरान दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने टीडीसैट की संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि हमने 6G में काम करना शुरू कर दिया है। दुनिया के मुकाबले हम 2G और 3G में काफी पीछे थे। हम 4G में दुनिया का पीछा कर रहे थे। हमें 5G पर दुनिया के साथ चलना है और 6G पर दुनिया से आगे अगर ऐसा नहीं होगा तो भारत को प्रतिभाओं का राष्ट्र कहलाने का कोई फायदा नहीं। बता दें कि, बढ़ी हुई विश्वसनीयता और व्यापक नेटवर्क कवरेज के साथ 6G की गति 5G से 100 गुना तेज होने की उम्मीद है।
प्रौद्योगिकी विकास के लिए नियामकीय ढांचे में बदलाव की जरूरत: दूरसंचार मंत्री
सरकार प्रौद्योगिकी के विकास के लिए नियामकीय ढांचे में आमूलचूल बदलाव की तैयारी कर रही है। दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को यह बात कही। वैष्णव ने टीडीसैट की संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि हम उद्योग के साथ एक भागीदार के रूप में बातचीत करना चाहते हैं, किसी ‘विरोधी’ की तरह नहीं। उन्होंने कहा कि प्रणाली में सभी उलझे हुए हैं और कुछ ऐसे लोग जिनके नैतिक मूल्य मजबूत नहीं हैं, उन्होंने पूर्व में पूरे दूरसंचार क्षेत्र को बदनाम किया है।
वैष्णव ने कहा, ‘‘क्या हमारे पास पूरी डिजिटल दुनिया के लिए एक नियामक हो सकता है। ऐसी चीजें हो रही हैं। हमें कानूनी ढांचे, नियामकीय क्रियान्वयन ढांचे और हमारे सरकारी निकायों की सोच, लोगों के प्रशिक्षण सभी में आमूलचूल बदलाव लाने की जरूरत है। उद्योग के साथ बातचीत भागीदार के रूप में होनी चाहिए, किसी विरोधी की तरह नहीं। अगली बड़ी चीज हम यही करने जा रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि अभी तक अधिक कुछ नहीं किया गया है। हमें प्रौद्योगिकी के विकास के लिए काम करते रहने की जरूरत है। अधिक से अधिक स्टार्टअप जोड़ने की जरूरत है क्योंकि यह ऐसा बाजार है जहां भविष्य के उद्यमी बनेंगे।
वैष्णव ने कहा, ‘‘जब 2जी और 3जी की बात थी, तो हम पिछड़ गए थे। हम 4जी को पकड़ने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन 5जी और 6जी के मामले में हमें आगे रहना होगा। ऐसा नहीं होता है, तो यह कहने का क्या लाभ होगा कि हम ऐसे राष्ट्र में रहते हैं जो प्रतिभाओं का देश है।’’ ‘‘एक प्रतिभाली देश को इस तरह से सोचना चाहिए, जिससे वह अगुवाई कर सके, लक्ष्य तय कर सके और पुरी दुनिया के लिए दिशा निर्धारित कर सके।’’
उन्होंने बताया कि आईआईटी-चेन्नई, आईआईटी-कानपुर, आईआईटी-बंबई और आईआईएससी-बेंगलूर सहित 11 संस्थानों के गठजोड़ ने 14 महीने में सिर्फ तीन करोड़ डॉलर के खर्च पर 4जी प्रौद्योगिकी तैयार की है। यह दूरसंचार क्षेत्र की बड़ी कंपनियों द्वारा इस प्रौद्योगिकी के विकास पर हुए खर्च का बहुत छोटा हिस्सा है। वैष्णव ने कहा कि अब 35 भारतीय दूरसंचार कंपनियां अपने उत्पादों को विदेशी बाजारों में निर्यात करने की तैयारी में हैं। भविष्य की 5जी और 6जी प्रौद्योगिकी के विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ के तहत सबसे महत्वपूर्ण अध्ययन समूहों की अगुवाई आज भारतीय प्रतिनिधि कर रहे हैं।