भारत दुनिया में तीव्र आर्थिक वृद्धि वाला देश बना हुआ है। कृषि, विनिर्माण, खनन और निर्माण क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से देश की आर्थिक वृद्धि दर बीते वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही में 6.1 प्रतिशत रही। इसके साथ, पूरे वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो अनुमान से अधिक है। इस वृद्धि के साथ देश की अर्थव्यवस्था 3,300 अरब डॉलर की हो गयी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ने सारे अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए जनवरी-मार्च तिमाही में 6.1 प्रतिशत की दर से वृद्धि की। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार से लोगों की इनकम में बढ़ोतरी होगी। साथ ही देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, जिससे बेरोजारी घटेगी।
इंडियन इकोनॉमी में बनी रहेगी तेजी
इस साल भी भारतीय अर्थव्यवस्था बुलेट की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान जताया है। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा कि चालू वित्त वर्ष (2023-24) में भारत की जीडीपी के 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है। सीईए ने कहा, "हमें ग्रामीण मांग में मजबूत सुधार के संकेत दिख रहे हैं। 2022-23 की चौथी तिमाही में कृषि क्षेत्र में 5.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।"नागेश्वरन ने कहा कि कई क्षेत्रों में क्षमता उपयोग पहले ही 75 प्रतिशत को पार कर चुका है।
देश में रोजगार के अवसर बढ़े
उन्होंने यह भी बताया कि महामारी से पहले होटल उद्योग में कुल रोजगार 4 करोड़ था। महामारी के दौरान यह 2.9 करोड़ तक गिर गया था, लेकिन अब बढ़कर 4.5 करोड़ हो गया है। नागेश्वरन ने संवाददाताओं से कहा कि सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में निजी खपत 2022-23 में 16 साल के उच्चतम स्तर पर थी।