Tuesday, December 24, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. दूसरी तिमाही में देखी गई मंदी से उबर रही है देश की अर्थव्यवस्था, RBI ने बताई और ये बात

दूसरी तिमाही में देखी गई मंदी से उबर रही है देश की अर्थव्यवस्था, RBI ने बताई और ये बात

2024-25 की तीसरी तिमाही के लिए उच्च आवृत्ति संकेतक (एचएफआई) संकेत देते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था दूसरी तिमाही में देखी गई मंदी से उबर रही है, जो मजबूत त्योहारी गतिविधि और ग्रामीण मांग में निरंतर वृद्धि से प्रेरित है।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Dec 24, 2024 23:13 IST, Updated : Dec 24, 2024 23:13 IST
बुनियादी ढांचे पर निरंतर सरकारी खर्च से आर्थिक गतिविधि और निवेश को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
Photo:FILE बुनियादी ढांचे पर निरंतर सरकारी खर्च से आर्थिक गतिविधि और निवेश को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने लेटेस्ट बुलेटिन में मंगलवार को कहा कि देश की अर्थव्यवस्था दूसरी तिमाही में देखी गई मंदी से उबर रही है। इसमें कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था सितंबर तिमाही में देखी गई मंदी से उबर रही है, जो मजबूत त्योहारी गतिविधि और ग्रामीण मांग में निरंतर वृद्धि से प्रेरित है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, दिसंबर बुलेटिन में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर एक लेख में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर विकास और नरम मुद्रास्फीति के साथ लचीलापन प्रदर्शित करना जारी रखती है।

दूसरी छमाही में उठने के लिए तैयार

खबर के मुताबिक, 2024-25 की तीसरी तिमाही के लिए उच्च आवृत्ति संकेतक (एचएफआई) संकेत देते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था दूसरी तिमाही में देखी गई मंदी से उबर रही है, जो मजबूत त्योहारी गतिविधि और ग्रामीण मांग में निरंतर वृद्धि से प्रेरित है। लेख में आगे कहा गया है कि विकास प्रक्षेपवक्र 2024-25 की दूसरी छमाही में उठने के लिए तैयार है, जो मुख्य रूप से लचीली घरेलू निजी खपत मांग से प्रेरित है। लेखकों ने कहा कि खाद्यान्नों के रिकॉर्ड स्तर के उत्पादन के चलते, विशेष रूप से ग्रामीण मांग में तेजी आ रही है।

निवेश को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद

बुनियादी ढांचे पर निरंतर सरकारी खर्च से आर्थिक गतिविधि और निवेश को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा के नेतृत्व वाली टीम द्वारा लिखे गए लेख में कहा गया है कि वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियां, हालांकि, विकास और मुद्रास्फीति के उभरते परिदृश्य के लिए जोखिम पैदा करती हैं। चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर अवधि के दौरान भारत की जीडीपी वृद्धि दर सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर आ गई।

तीसरी और चौथी तिमाही को लेकर है यह अनुमान

लेखकों ने आगे कहा कि उभरती हुई एक और बाधा नाममात्र जीडीपी वृद्धि की धीमी दर है, जो बजटीय घाटे और लोन टारगेट को हासिल करने के लिए पूंजीगत व्यय सहित राजकोषीय खर्च में बाधा डाल सकती है। लेख में यह भी उल्लेख किया गया है कि इन-हाउस डायनेमिक स्टोकेस्टिक जनरल इक्विलिब्रियम (डीएसजीसी) पर आधारित अनुमानों के मुताबिक, वास्तविक जीडीपी वृद्धि 2024-25 की तीसरी और चौथी तिमाही में क्रमशः 6.8 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है।

2025-26 के लिए विकास दर का अनुमान

2025-26 के लिए विकास दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि हेडलाइन सीपीआई मुद्रास्फीति (खुदरा) 2025-26 में औसतन 3.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। दिसंबर की मौद्रिक नीति में, आरबीआई ने 2024-25 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था, जिसमें तीसरी तिमाही 6.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही 7.2 प्रतिशत थी। 2025-26 की अप्रैल तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत और दूसरी तिमाही 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। आरबीआई ने कहा कि बुलेटिन में व्यक्त किए गए विचार लेखकों के हैं और केंद्रीय बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement