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भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ आगे बढ़ रही, दुनिया भारत को लेकर आशावादी: कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यम

सुब्रमण्यन ने कहा कि कोविड के दौरान भारत ने ऐसी आर्थिक नीति लागू करने का विकल्प चुना, जो बाकी दुनिया से अलग थी।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Dec 07, 2024 14:32 IST, Updated : Dec 07, 2024 14:32 IST
GDP- India TV Paisa
Photo:FILE जीडीपी

भारतीय इकोनॉमी मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है। पूरी दुनिया भारत की तरफ आशावादी नजरिये से देख रही है। देश के शीर्ष अर्थशास्त्री और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के कार्यकारी निदेशक कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यम ने ये कहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया भारत को लेकर आशावादी है। उन्होंने कहा कि भारत के सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे और समावेशी वृद्धि के बारे में न सिर्फ चर्चा हो रही है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसकी सराहना भी रह रहा है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था कुल मिलाकर बहुत अच्छी तरह से बढ़ रही है। कोविड के बाद, वृद्धि दर लगातार सात प्रतिशत रही है। बेशक, इस तिमाही में थोड़ी गिरावट आई है। आंशिक रूप से यह पूंजीगत व्यय में मंदी के कारण है। साथ ही, निर्यात पर भी कुछ प्रभाव पड़ा है। 

जीडीपी में फिर से लौटेगी तेजी 

लेकिन मुझे लगता है कि यह गिरावट अस्थायी होगी। भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार सुब्रमण्यन ने हाल में एक किताब 'इंडिया@100' लिखी है। उन्होंने कहा, आईएमएफ बोर्ड में बैठने के बाद से मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि दुनिया भारत को लेकर आशावादी है। भारत ने जिस तरह का सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचा बनाया है, उसका जिक्र मेरे बोर्ड के लगभग हर साथी अक्सर करते हैं। वे इसकी ईमानदारी से सराहना करते हैं। 

भारत में हुआ समावेशी विकास 

उन्होंने आगे कहा कि पिछले एक दशक में भारत ने जिस तरह की समावेशी वृद्धि की है, उसकी भी सराहना की जानी चाहिए। एक सवाल के जवाब में सुब्रमण्यन ने कहा कि कोविड के दौरान भारत ने ऐसी आर्थिक नीति लागू करने का विकल्प चुना, जो बाकी दुनिया से अलग थी। उन्होंने कहा कि बाकी दुनिया ने कोविड को पूरी तरह से मांग-पक्ष के झटके के रूप में पहचाना, जबकि भारत एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था थी जिसने कोविड को मांग-पक्ष और आपूर्ति-पक्ष दोनों के झटके के रूप में पहचाना। उन्होंने कहा कि इसके चलते जब यूरोप में युद्ध शुरू हुआ और आपूर्ति पक्ष की समस्याएं पैदा हुईं, तो इसका भारत पर उतना प्रभाव नहीं पड़ा। 

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